आयकर कानून : संसद का मानसून सत्र आज से आरंभ हो रहा है। केंद्र सरकार का मुख्य ध्यान नए आयकर बिल 2025 पर केंद्रित है। 13 फरवरी को बजट सत्र में पेश हुआ था। यह विधेयक पुराने 60 साल पुराने आयकर कानून की जगह लेगा। बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में बनी 31 सदस्यीय समिति ने इसकी समीक्षा की और 285 सुझाव दिए। समिति की रिपोर्ट आज लोकसभा में पेश की जाएगी।
पहले से आधा होगा नया इनकम टैक्स कानून
नया सरलीकृत आयकर विधेयक पुराने 1961 के कानून के मुकाबले लगभग आधे आकार का है। इसका मकसद मुकदमों की संख्या और अलग-अलग व्याख्या की जरूरत को कम करना है, ताकि कर व्यवस्था साफ और निश्चित हो सके। इस नए बिल में कुल 2.6 लाख शब्द शामिल हैं, जबकि पुराने कानून में 5.12 लाख शब्द थे। नए कानून में 536 धाराएं हैं, जो पुराने कानून की 819 धाराओं की तुलना में काफी कम हैं।
सरलीकरण की ओर बड़ा कदम
आयकर विभाग के एफएक्यू के अनुसार, नए आयकर विधेयक 2025 में अध्यायों की संख्या 47 से घटाकर 23 कर दी गई है। इसमें अब 57 तालिकाएं हैं, जबकि पुराने कानून में 18 थीं। 1,200 प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण हटा दिए गए हैं। छूट और टीडीएस/टीसीएस के नियम तालिकाओं में रखे गए हैं ताकि समझना आसान हो। गैर-लाभकारी संगठनों के लिए नियमों को सरल और विस्तार से लिखा गया है। इससे कुल शब्दों में 34,547 की कमी आई है।
नए आयकर विधेयक में कर आकलन वर्ष की अवधारणा खत्म
नए आयकर विधेयक में करदाताओं की सुविधा के लिए ‘पिछला वर्ष’ और ‘कर आकलन वर्ष’ जैसे शब्द हटा दिए गए हैं। अब सिर्फ ‘कर वर्ष’ शब्द का इस्तेमाल होगा। पहले जिस आय पर अगले साल टैक्स देना होता था, अब उसी साल में टैक्स देना होगा। यह बदलाव कानून को आसान बनाने के लिए किया गया है। इसके अलावा सरकार मानसून सत्र में आठ नए विधेयक पेश करेगी और कुछ पुराने विधेयकों पर भी चर्चा होगी।
मानसून सत्र में पेश होंगे ये अहम विधेयक
मानसून सत्र में सरकार कई अहम विधेयक पेश करेगी, जिनमें मणिपुर GST संशोधन, जन विश्वास विधेयक, IIM संशोधन, कराधान कानून में बदलाव, भू-विरासत संरक्षण विधेयक, खनिज नियमों में संशोधन, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और नेशनल एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक शामिल हैं। ये सभी विधेयक अलग-अलग क्षेत्रों में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए लाए जा रहे हैं।
जन विश्वास विधेयक कारोबार को आसान बनाएगा
संसद में जल्द पेश होने वाला जन विश्वास विधेयक 2025 का मकसद कारोबार को आसान बनाना और नियमों का पालन सुधारना है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को हर छह महीने बाद संसद से मंजूरी लेना जरूरी होगा, इसलिए इसे बढ़ाने के लिए एक नया विधेयक लाया जाएगा। साथ ही, गोवा के विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रतिनिधित्व बढ़ाने वाला विधेयक 2024 पर भी संसद में चर्चा होगी।