सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 14 संवैधानिक सवालों पर सुनवाई शुरू

द्रौपदी मुर्मू : सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ राष्ट्रपति द्वारा पूछे गए 14 सवालों पर विचार करने को तैयार हो गई है। ये सवाल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उस फैसले के बाद उठाए थे, जिसमें कोर्ट ने विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों को समयसीमा तय करने की बात कही थी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली यह संविधान पीठ अगस्त के मध्य से इस मामले की सुनवाई शुरू करेगी। इसमें चार अन्य वरिष्ठ जज भी शामिल हैं।

संविधान अनुच्छेद 143(1) के तहत कोर्ट से सलाह ले सकते हैं राष्ट्रपति

संविधान के अनुच्छेद 143(1) के अनुसार, अगर राष्ट्रपति को लगता है कि किसी कानून या बात से जुड़ा कोई ऐसा सवाल है जो जनता के लिए जरूरी है, तो वे उस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट से राय ले सकते हैं। राष्ट्रपति यह सवाल सुप्रीम कोर्ट को भेजते हैं और कोर्ट सुनवाई के बाद अपनी राय राष्ट्रपति को दे देता है। यह राय जरूरी नहीं कि राष्ट्रपति को माननी ही पड़े। इसका मकसद है सरकार को किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह मिल सके

सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति ने पूछे 14 अहम सवाल

अगर विधानसभा से कोई विधेयक राज्यपाल के पास जाता है, तो वे उसे मंजूरी दे सकते हैं,  वापस भेज सकते हैं, राष्ट्रपति को भेज सकते हैं, या रोक भी सकते हैं। राज्यपाल आमतौर पर मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे होते हैं। उनके फैसले की कोर्ट समीक्षा कर सकती है, क्योंकि अनुच्छेद 361 पूरी तरह रोक नहीं लगाता। अदालतें फैसले की समयसीमा तय कर सकती हैं, हालांकि संविधान में ऐसी कोई सीमा तय नहीं है। राष्ट्रपति के फैसलों पर भी कोर्ट समयसीमा तय कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट से सलाह अनुच्छेद 143 के तहत ली जा सकती है।

राज्यपाल/राष्ट्रपति के फैसले लागू होने से पहले भी कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट संविधान की व्याख्या कर सकता है, लेकिन शक्तियों में खुद बदलाव नहीं कर सकता। राज्य सरकार राज्यपाल की अनुमति के बिना कानून लागू नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट पांच जजों की बेंच को मामले भेज सकता है। संविधान अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र-राज्य विवाद सुलझाने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को देता है।