प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे। मोदी और ट्रंप की आखिरी बार आमने-सामने मुलाकात 2020 में हुई थी, जब वह अमेरिका के राष्ट्रपति थे। इसके बाद ट्रम्प अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव हार गए और बिडेन जीत गए। पिछले वर्ष चुनाव जीतने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति का पद संभाला है। इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद पहली बार अमेरिका की यात्रा पर हैं। इस संदर्भ में दोनों के बीच बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा होगी, यह अब दोनों देशों के लिए बड़ी दिलचस्पी का विषय बन गया है।
नरेन्द्र मोदी इस समय फ्रांस की यात्रा पर हैं
नरेन्द्र मोदी इस समय फ्रांस की यात्रा पर हैं और वहां से सीधे अमेरिका जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी-ट्रंप मुलाकात न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा देगी, बल्कि ट्रंप के अगले 4 साल के कार्यकाल पर भी इसका गहरा असर होगा। दोनों देशों के बीच मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से उनकी चर्चा जारी रहेगी। पिछले कुछ दशकों में प्रत्येक अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के प्रयास किए हैं।
इसी परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा दिया। वह उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों और हथियार प्रणालियों के अधिग्रहण को प्राथमिकता दे रहा है। हाल ही में भारत में आयोजित एयर शो में अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों ने भी भाग लिया। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को दर्शाता है।
सैन्य सहयोग मजबूत करने पर चर्चा होगी
दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग मजबूत करने पर चर्चा होगी। भारत को अमेरिका से अधिक ड्रोन, लड़ाकू विमान और उन्नत मिसाइल प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने पर चर्चा की संभावना है। इसके अलावा मोदी ट्रंप के साथ अपनी बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक सहयोग, एच1बी वीजा और ग्रीन कार्ड से जुड़े मुद्दे भी उठा सकते हैं। दोनों देश सेमीकंडक्टर, डिजिटल अर्थव्यवस्था और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, मेक इन इंडिया के तहत अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने पर भी चर्चा की जाएगी।