राजेश राठौर
EXCLUSIVE
स्वतंत्र समय, इंदौर
मास्टर प्लान ( master plan ) आने की खलबलाहट मचने के साथ ही इंदौर में कई दलाल सक्रिय हो गए हैं, जो लोगों की जमीनें ग्रीनबेल्ट से आवास और आवास से कमर्शियल करवाने की गारंटी ले रहे हैं। हालांकि अभी मास्टर प्लॉन के प्रारूप का प्रकाशन नहीं हुआ है, उसके पहले इंदौर और भोपाल में दलाल तेजी से सक्रिय हैं, जो इस तरह के दावे कर रहे हैं। पुराना ग्रीनबेल्ट समाप्त करने की बात कही जा रही है।
master plan में जमीन आवासीय करने में लगे
पिछले मास्टर प्लान ( master plan ) में जिनकी जमीनें ग्रीनबेल्ट में हैं, वो अब नए मास्टर प्लान में अपनी जमीन को आवासीय करवाने में लग गये हैं। यदि दलाल सक्रिय हैं, इसका मतलब साफ है कि उनकी अफसरों के साथ सांठ-गांठ हो चुकी है। यही कारण है कि इन दिनों ग्रीनबेल्ट की जमीनें खरीदी जा रही हैं। जो जमीनें ‘पीएसपी’ में हैं वो जमीनें भी कमर्शियल करने की बात कही जा रही है। हालांकि जब भी मास्टरप्लॉन आता है उस समय दलाल बड़ी संख्या में संगठित गिरोह की तरह सक्रिय हो जाते हैं। अभी जो दावे किए जा रहे हैं। उसके अनुसार ग्रीनबेल्ट की एक बीघा जमीन, आवासीय करने के लिए पचास लाख रूपए मांगे जा रहे हैं, जिसमें से आधा पैसा अभी एडवांस लिया जा रहा है और आधा पैसा काम होने के बाद देना होगा। जिस तरह से धारा-16 में नक्शे मंजूरी के लिए भोपाल में डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा एडवांस पैसे ले लिए गए थे। दैनिक स्वतंत्र समय ने जनहित में इस मामले को लगातार प्रकाशित किया था, जिसके कारण इंदौर ही नहीं भोपाल और दिल्ली में हंगामा मचा था। मध्यप्रदेश के ईमानदार मुख्य सचिव अनुराग जैन ने तो डायरेक्टर श्रीकांत बनोठ को फटकार लगाई थी कि अब एक भी नक्शा धारा-16 में मंजूर नहीं होना चाहिए। उसके बाद ही नक्शा मंजूरी की बैठक निरस्त करना पड़ी थी। लगभग ढाई सौ मामले विचाराधीन थे, जिनके आधे मामलों में दलालों ने अफसरों के लिए आधा पैसा एडवांस ले लिया था।
ज्यादा कमाने के चक्कर में कहीं फटका न लग जाए
हम तो यही कहेंगे कि जमीन मालिक किसी दलाल के चक्कर में ना पड़ें नहीं तो मंदी के इस दौर में ज्यादा कमाने के चक्कर में लाखों रुपए का फटका लग जायेगा। मास्टर प्लॉन में कौन सी जमीन का क्या उपयोग होगा, इसको लेकर जनप्रतिनिधि भी सक्रिय हैं। इंदौर के ट्रैफिक जाम जैसी समस्या को अनदेखा करके जनप्रतिनिधि माल कूटना चाहते हैं। यदि यही हाल रहा तो मास्टर प्लॉन में जमीन का उपयोग बदलने को लेकर अफसर और जनप्रतिनिधियों के बीच बड़ा विवाद होने की संभावना है। हो सकता है कि इस कारण से मास्टर प्लॉन ही रुक जाए।