नागदा में पिछले महीने स्मार्ट मीटरों के कारण उपभोक्ताओं को सामान्य से दो से तीन गुना अधिक बिजली बिल मिलने पर हंगामा खड़ा हो गया था। इस मुद्दे को लेकर आम जनता ने सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध जताया। पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर ने इसे विधानसभा में भी उठाया और मामला कोर्ट तक जा पहुंचा। बढ़ते दबाव और आलोचना के बीच विद्युत वितरण कंपनी ने अब बिलिंग प्रक्रिया में बदलाव करते हुए केवल 20 दिन की रीडिंग के आधार पर बिल जारी किए हैं।
20 दिन का बिल, 10 दिन पहले जारी
सूत्रों के अनुसार, इस बार कंपनी ने माह की पहली तारीख को ही मीटर रीडिंग करवा ली और लगभग 10 दिन पहले ही बिजली बिल तैयार कर दिए। उपभोक्ताओं का आरोप है कि यह बदलाव जनता के गुस्से को शांत करने की रणनीति है। चूंकि 20 दिन की खपत का बिल अपेक्षाकृत कम दिख रहा है, ऐसे में आम उपभोक्ता को लग सकता है कि स्थिति सुधर गई है। जबकि असल में यह आंशिक रीडिंग है, और आने वाले बिल में बाकी दिनों की खपत जोड़े जाने की आशंका बनी हुई है।
कंपनी की छवि बचाने का प्रयास?
स्थानीय नागरिकों ने इसे बिजली कंपनी की ‘इमेज मैनेजमेंट’ की चाल बताया। उनका कहना है कि पहले हर माह की 10 तारीख के बाद मीटर रीडिंग होती थी, जिससे पूरा महीने का वास्तविक बिल आता था। लेकिन इस बार मात्र 1 तारीख को ही रीडिंग लेकर बिल अवधि को 20 दिन तक सीमित कर दिया गया। लोगों को शक है कि यह कदम अस्थायी राहत दिखाने और बढ़ते जनाक्रोश को ठंडा करने के लिए उठाया गया है। एक उपभोक्ता ने तंज कसते हुए कहा, “यह पब्लिक है, सब जानती है।”
बिजली कंपनी का पक्ष
विद्युत कंपनी के इंजीनियर मेहरबान सिंह सूर्यवंशी ने सफाई देते हुए कहा कि तकनीकी समस्या के कारण बिजली बिल के मैसेज में देरी हो रही है। उन्होंने दावा किया कि स्मार्ट मीटर अपने आप महीने की आखिरी तारीख को रीडिंग ले लेते हैं। हालांकि, इस दावे और वास्तविक बिलिंग प्रक्रिया के बीच उपभोक्ताओं में कई सवाल उठ रहे हैं।
लगातार बिजली कटौती से बढ़ी परेशानी
भारी-भरकम बिलों के अलावा, उपभोक्ताओं ने यह भी शिकायत की कि दिन में कई बार बिजली कटौती होना आम बात बन चुकी है। मेंटिनेंस के नाम पर दिन में तीन से चार बार सप्लाई बाधित होती है, और अधिकतर बार इसकी पूर्व सूचना भी नहीं दी जाती। 2-3 घंटे की कटौती अब रुटीन बन गई है, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ कारोबारी वर्ग भी परेशान है।
लोगों की मांग – उच्चस्तरीय जांच हो
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर उज्जैन संभाग के नागदा जैसे शहर में यह हाल है, तो प्रदेश के अन्य हिस्सों की स्थिति और खराब हो सकती है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की है कि न केवल बिलिंग विवाद बल्कि बार-बार होने वाली बिजली कटौती की भी गंभीरता से जांच की जाए। उनका मानना है कि पारदर्शी जांच और ठोस कदम उठाने पर ही लोगों का भरोसा वापस जीता जा सकता है।