R Madhavan की हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर दो टूक, कहा- कभी भाषा की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई

R Madhavan: महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच, लोकप्रिय अभिनेता आर. माधवन ने अपनी राय साझा की है। उन्होंने कहा कि उनके जीवन या करियर में भाषा कभी बाधा नहीं बनी। तमिल, हिंदी और मराठी जैसी कई भाषाओं में पारंगत माधवन ने अपने अनुभवों के आधार पर इस मुद्दे पर खुलकर बात की।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद अप्रैल 2025 में तब शुरू हुआ, जब महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का फैसला किया। इस नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को लागू करना था, जिसमें मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को शामिल किया गया। हालांकि, इस निर्णय का तीव्र विरोध हुआ, क्योंकि कई लोगों ने इसे मराठी भाषा और संस्कृति पर हिंदी के “थोपने” के रूप में देखा। विरोध प्रदर्शनों और सोशल मीडिया पर वायरल हुए कुछ वीडियो, जिनमें कथित तौर पर गैर-मराठी भाषियों को निशाना बनाया गया, ने इस विवाद को और हवा दी।

R Madhavan का दृष्टिकोण

आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में, माधवन ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैंने कभी भाषा के कारण कोई समस्या नहीं झेली। मैं तमिल बोलता हूं, हिंदी बोलता हूं, और कोल्हापुर में पढ़ाई के दौरान मैंने मराठी भी सीखी। मेरे लिए भाषा न जानना या जानना, दोनों ही कभी मुश्किल का कारण नहीं बने।”

जमशेदपुर (तब बिहार, अब झारखंड) में पले-बढ़े और देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले माधवन ने बताया कि उनकी बहुभाषी पृष्ठभूमि ने उन्हें विभिन्न संस्कृतियों को समझने और अपनाने में मदद की। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता में भाषाएं एकजुट करने का काम करती हैं, न कि बांटने का।

R Madhavan की सकारात्मक अपील

माधवन ने अपनी बात को सकारात्मक नोट पर समाप्त करते हुए कहा कि भाषाएं हमें जोड़ती हैं और हमें उनकी विविधता का जश्न मनाना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभवों से यह साबित किया कि बहुभाषी होना न केवल व्यक्तिगत विकास में मदद करता है, बल्कि सामाजिक एकता को भी मजबूत करता है।