मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बिहार में अपनी वोट अधिकार यात्रा के दौरान तीखा पलटवार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले चोरी छुपकर होती थी लेकिन अब SIR (स्पेशल समरी रिवीजन) के ज़रिए खुलेआम वोट चोरी हो रही है। राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग ने इस तरीके से जनता के अधिकारों को छीनने की नई तरकीब अपनाई है।
चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल
राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि सरकार ने सीसीटीवी निगरानी कानून पहले बनाया और फिर उसे बदल क्यों दिया? उन्होंने कहा कि 2023 में ऐसा कानून लाया गया जिससे चुनाव आयुक्तों पर किसी भी अदालत में कार्रवाई न हो सके। उनके अनुसार, यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि चुनाव आयोग पर कोई कानूनी दबाव न आए और सत्ता पक्ष को वोट चोरी में मदद मिल सके।
महाराष्ट्र का उदाहरण देकर लगाए आरोप
राहुल गांधी ने दावा किया कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच अचानक 1 करोड़ नए मतदाता जोड़ दिए गए। उनका कहना है कि लोकसभा में कांग्रेस गठबंधन को जितने वोट मिले, विधानसभा में भी उतने ही वोट मिले, लेकिन नए मतदाताओं के वोट भाजपा को मिल गए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज देने से भी इनकार कर दिया।
कांग्रेस के सीधे सवाल, आयोग का कोई ठोस जवाब नहीं
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे –
- महाराष्ट्र में वोटर संख्या वयस्क आबादी से ज़्यादा कैसे हो गई?
- एक ही घर में सैकड़ों मतदाताओं के नाम कैसे दर्ज हो सकते हैं?
- बिहार बाढ़ प्रभावित है तो इतनी जल्दी SIR क्यों कराया जा रहा है?
- मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी निजता का उल्लंघन कैसे हो सकती है?
कांग्रेस का कहना है कि आयोग इन सवालों के ठोस जवाब देने के बजाय केवल टालमटोल करता रहा।
निजता और पारदर्शिता पर दोहरे मानक
कांग्रेस ने तर्क दिया कि महिलाओं के मतदान के समय उनकी पहचान की जाँच पुरुष पुलिस अधिकारी कर सकते हैं, लेकिन बूथ पर कैमरा लगाने को निजता का उल्लंघन कहा जा रहा है। इसी तरह मतदाता सूची को डिजिटल मशीन-पठनीय फॉर्मेट में उपलब्ध न कराने को भी ‘निजता का मुद्दा’ बताकर टाला गया, जबकि इससे वोट चोरी का खुलासा करना आसान हो सकता था।
संविधान और लोकतंत्र पर खतरे का आरोप
कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत को कुचल रहा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका खत्म इसलिए की, ताकि आयोग पूरी तरह सरकार के इशारों पर काम करे। राहुल गांधी ने चेतावनी दी कि यह लोकतंत्र के साथ सीधी छेड़छाड़ है और देश का कानून इसे कभी माफ नहीं करेगा।