राहुल गांधी ने उठाए सवाल, एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से मासूमों की मौत को बताया हत्या

इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) के एनआईसीयू में दो नवजात शिशुओं की मौत की घटना ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसे ‘हत्या’ करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह कोई साधारण दुर्घटना नहीं बल्कि सीधी-सीधी हत्या है। उनका कहना है कि यह घटना इतनी भयावह और अमानवीय है कि सुनकर किसी की भी रूह कांप उठे।

गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल बने मौत का अड्डा

राहुल गांधी ने कहा कि एक मां की गोद से उसका बच्चा सिर्फ इसलिए छिन गया क्योंकि सरकार अपनी बुनियादी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही। उनके अनुसार, स्वास्थ्य सेवाओं को जानबूझकर निजी हाथों में सौंपा गया है, जिससे गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल जीवनदायी जगह न होकर अब मौत के अड्डे बन चुके हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार ने गरीबों से स्वास्थ्य का अधिकार छीन लिया है।

जांच के आदेश और प्रशासन की सक्रियता

घटना के बाद चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने डीन अरविंद घनघोरिया और अस्पताल अधीक्षक अशोक यादव सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। राठी ने अस्पताल के पीडियाट्रिक यूनिट का निरीक्षण किया और पेस्ट कंट्रोल एजेंसी से जुड़े दस्तावेज भी देखे। उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय जांच दल गठित किया गया है जो यह पता लगाएगा कि मौत में चूहों की क्या भूमिका रही है।

डॉक्टरों का दावा – मौत की वजह गंभीर बीमारियां

पीडियाट्रिक सर्जन ब्रजेश लाहोटी ने कहा कि चूहे के काटने से किसी की मौत नहीं होती। उनके अनुसार, कई बार अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ भी चूहों के काटने का शिकार होते हैं, लेकिन इससे घाव भर जाते हैं और जान का खतरा नहीं होता। लाहोटी ने बताया कि दोनों नवजात गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे और मौत का कारण यही था, न कि चूहों का काटना।

बच्चों की बीमारियां और हालात

लाहोटी ने देवास निवासी रेहाना के बच्चे के मामले में बताया कि उसके पेट में संक्रमण था। आंत से मल पेट में फैल गया था, जिससे लगातार इंफेक्शन बढ़ता गया। सर्जरी और वेंटिलेटर पर रखने के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
दूसरे नवजात के बारे में उन्होंने कहा कि उसका वजन मात्र 1.4 किलो था और उसे जन्मजात बीमारियां थीं। मल निकासी का रास्ता बंद था और परिवार ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने के बाद छोड़ दिया था। ऐसे मामलों में इलाज संभव नहीं हो पाता।

प्रशासन का बयान – मौत चूहे के कुतरने से नहीं

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और अस्पताल अधीक्षक अशोक यादव ने भी स्पष्ट किया कि बच्चों की मौत चूहे के काटने से नहीं हुई। देवास निवासी रेहाना के नवजात की मौत गंभीर संक्रमण से हुई, जबकि खंडवा जिले की लक्ष्मीबाई के नवजात की हालत जन्म से ही खराब थी।

रेहाना के बच्चे का पोस्टमॉर्टम परिजनों की सहमति न मिलने पर नहीं हुआ। वहीं मंजू के नवजात की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत का कारण चूहे का काटना नहीं पाया गया।

पोस्टमॉर्टम को लेकर उलझन

मंजू के नवजात का शव दो दिन तक पोस्टमॉर्टम रूम में ही रहा क्योंकि माता-पिता गंभीर स्थिति में बच्चे को छोड़कर चले गए थे। पुलिस ने उनकी गैरहाजिरी में मामले को अज्ञात मान लिया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।