भारतीय रेलवे ट्रेनों में बेवजह चेन खींचने की घटनाओं से होने वाले भारी नुकसान और परिचालन में देरी से निपटने के लिए एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। रेलवे अब एक नया नियम लाने पर विचार कर रहा है, जिसके तहत चेन खींचने वाले व्यक्ति से ट्रेन की देरी के हर मिनट के हिसाब से जुर्माना वसूला जा सकता है। यह कदम विशेष रूप से मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के पास बढ़ती घटनाओं के बाद उठाया जा रहा है।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, एक ट्रेन के एक मिनट रुकने से रेलवे को लगभग 13,000 रुपये का नुकसान होता है। नए प्रस्ताव के तहत, यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से चेन खींचता है और ट्रेन 10 मिनट तक लेट होती है, तो उससे 1.30 लाख रुपये तक का जुर्माना वसूला जा सकता है। इस सख्त नियम का उद्देश्य लोगों को ऐसी गतिविधियों से रोकना है जो पूरे रेल नेटवर्क को प्रभावित करती हैं।
बागेश्वर धाम बना चेन पुलिंग का हॉटस्पॉट
यह समस्या छतरपुर-खजुराहो रेल लाइन पर सबसे अधिक गंभीर है, जहां बागेश्वर धाम स्थित है। धाम में आने वाले कई श्रद्धालु अपने गंतव्य के करीब उतरने के लिए चलती ट्रेनों की चेन खींच देते हैं। इससे न केवल ट्रेनें लेट होती हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा होता है। वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ा है।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं। आरपीएफ ने जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। इसी के चलते अब आर्थिक दंड को और कड़ा करने पर विचार किया जा रहा है।
क्या है मौजूदा कानून और प्रस्तावित बदलाव?
वर्तमान में, रेलवे अधिनियम की धारा 141 के तहत, बिना किसी उचित कारण के ट्रेन की चेन खींचना एक दंडनीय अपराध है। इसके लिए दोषी पाए जाने पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना या एक साल की कैद, या दोनों हो सकते हैं। हालांकि, यह जुर्माना abschreckend (deterrent) साबित नहीं हो रहा है।
प्रस्तावित नया नियम ‘उपयोगकर्ता भुगतान सिद्धांत’ पर आधारित होगा, जिसका अर्थ है कि जो व्यक्ति सिस्टम को बाधित करेगा, उसे ही उससे होने वाले नुकसान की भरपाई करनी होगी। रेलवे का मानना है कि जब लोगों को अपनी जेब से हजारों या लाखों रुपये देने पड़ेंगे, तो वे ऐसा करने से पहले कई बार सोचेंगे।
यह नया नियम अगर लागू होता है तो यह रेलवे के इतिहास में एक बड़ा कदम होगा। इसका उद्देश्य यात्रियों में जिम्मेदारी की भावना पैदा करना और यह सुनिश्चित करना है कि रेल परिचालन सुचारू और समय पर हो सके।