राज ठाकरे ने सरकार से मांगा जवाब, मनसे का विरोध प्रदर्शन तेज

राज ठाकरे : महाराष्ट्र में स्कूलों में तीसरी भाषा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मनसे के कार्यकर्ताओं ने विरोध में कई जगह हिंदी की किताबें जला दीं। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे स्कूलों में बच्चों को हिंदी नहीं पढ़ाने देंगे। विवाद केंद्र सरकार के तीन भाषा फार्मूले को लेकर है। राज्य सरकार ने हाल ही में नियम में बदलाव करते हुए तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य बनाने की बाध्यता हटा दी है। अब छात्र किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुन सकते हैं। राज ठाकरे और कुछ मराठी संगठनों का आरोप है कि सरकार राज्य पर हिंदी थोप रही है।

राज ठाकरे का सवाल– एमपी-यूपी में कौन सी भाषा होगी तीसरी?

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जा रहा है, तो फिर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कौन सी भाषा को तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाएगा? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन राज्यों में मराठी सिखाई जाएगी? राज ठाकरे ने यह भी पूछा कि अगर महाराष्ट्र में हिंदी जरूरी है, तो क्या गुजरात जैसे राज्यों में भी हिंदी को तीसरी भाषा बनाया जाएगा? उनके बयान के बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया। वे स्कूलों में पहुंचे, प्रधानाध्यापकों को विरोध पत्र सौंपे और हिंदी की किताबें जलाईं। कुछ किताबें दुकानों से खरीदकर भी जलाई गईं।

महाराष्ट्र स्कूलों में तीसरी भाषा पर नया आदेश, क्या है सरकार का फैसला?

बुधवार को महाराष्ट्र सरकार का एक नया आदेश सामने आया, जिसमें कहा गया कि अब स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि, अगर कोई छात्र दूसरी भाषा पढ़ना चाहता है, तो स्कूल में कम से कम 20 ऐसे छात्र होने चाहिए जो वह भाषा सीखना चाहें। यह फैसला राज्य की तीन दलों की गठबंधन सरकार ने लिया है, जिसका नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस कर रहे हैं।