राज्यसभा में अजीब स्थिति, कोरम के अभाव में कार्यवाही स्थगित, कांग्रेस ने बताया सदन का अपमान

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को राज्यसभा में एक बेहद असामान्य स्थिति देखने को मिली। उच्च सदन की कार्यवाही को कोरम (गणपूर्ति) के अभाव में स्थगित करना पड़ा। आमतौर पर ऐसा बहुत कम होता है जब सत्ताधारी दल के पास सदन चलाने के लिए जरूरी सदस्यों की संख्या भी मौजूद न हो। इस घटना पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसे सरकार की गंभीरता पर सवाल बताया है।

शुक्रवार को जैसे ही भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो सदन में सदस्यों की उपस्थिति बेहद कम थी। पीठासीन अधिकारी ने पाया कि सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक न्यूनतम सदस्यों की संख्या (कोरम) पूरी नहीं है। इसके बाद घंटी बजाई गई, लेकिन फिर भी कोरम पूरा नहीं हो सका। अंततः कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया।

कांग्रेस ने बताया सदन का अपमान

इस घटनाक्रम पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे ‘अभूतपूर्व’ और ‘सदन का अपमान’ करार दिया।

“आज दोपहर 2:30 बजे राज्यसभा की बैठक हुई और तुरंत ही कोरम के अभाव में स्थगित कर दी गई। ऐसा बहुत कम होता है। सरकार के पास सदन चलाने के लिए जरूरी संख्या नहीं थी। यह सदन का अपमान है।” — जयराम रमेश, कांग्रेस महासचिव

विपक्ष का कहना है कि जब सरकार के पास महत्वपूर्ण विधायी कार्य नहीं होते या वे चर्चा से बचना चाहते हैं, तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। हालांकि, यह सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी मानी जाती है कि सदन में कोरम बनाए रखा जाए ताकि विधायी कामकाज सुचारू रूप से चल सके।

क्या होता है कोरम?

संसदीय नियमों के अनुसार, किसी भी सदन की कार्यवाही चलाने के लिए कुल सदस्य संख्या का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा मौजूद होना अनिवार्य है। इसे ही ‘कोरम’ या गणपूर्ति कहा जाता है। राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 है (वर्तमान में कुछ सीटें रिक्त हो सकती हैं), जिसका अर्थ है कि कार्यवाही चलाने के लिए कम से कम 25 सदस्यों का सदन में उपस्थित होना जरूरी है। यदि यह संख्या पूरी नहीं होती, तो पीठासीन अधिकारी का कर्तव्य है कि वह घंटी बजवाएं या सदन को स्थगित कर दें।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

हालांकि यह घटना दुर्लभ है, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब कोरम के अभाव में संसद की कार्यवाही रुकी हो। अतीत में भी कई बार लंच के बाद या देर शाम की बैठकों में सदस्यों की कम उपस्थिति के कारण कार्यवाही को समय से पहले समाप्त करना पड़ा है। लेकिन बजट सत्र या शीतकालीन सत्र जैसे महत्वपूर्ण समय में सत्ता पक्ष के सदस्यों का नदारद रहना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

शुक्रवार को अमूमन निजी विधेयक (Private Members’ Business) का दिन होता है, जिसमें सांसदों की रुचि अक्सर कम देखी जाती है। इसके बावजूद, कोरम का पूरा न होना संसदीय कार्यप्रणाली के प्रति सदस्यों की उदासीनता को दर्शाता है।