हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर हर वर्ष रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है। बदले में भाई बहन की रक्षा करने और जीवनभर साथ निभाने का वचन देता है। यह पर्व केवल एक रस्म नहीं बल्कि भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जो पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष खास बात यह है कि लगभग 100 साल बाद रक्षाबंधन के दिन न तो भद्रा का साया रहेगा और न ही पंचक का, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसे शुभ योग में किया गया हर कार्य कई गुना फलदायी माना जाता है।
सावन पूर्णिमा तिथि और रक्षाबंधन का शुभ समय
दृक पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे हुआ था, जो 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। रक्षाबंधन के लिए सबसे शुभ समय सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। हालांकि राहुकाल सुबह 9:07 बजे से 10:47 बजे तक और दुर्मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से 7:34 बजे तक रहेगा, इसलिए इस दौरान राखी बांधने से बचना बेहतर होगा।
राखी बांधने के उत्तम मुहूर्त
रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के दो प्रमुख शुभ समय बताए गए हैं—पहला सुबह 7:34 बजे से 9:06 बजे तक, और दूसरा 10:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक। इन समयों में किया गया राखी का बंधन शुभ और कल्याणकारी माना जाता है।
राखी बांधने और दीपक जलाने के मंत्र
राखी बांधते समय पारंपरिक मंत्र का उच्चारण शुभ माना जाता है
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि, रक्षे माचल माचलः॥”
इसके साथ ही, पूजा के दौरान दीपक जलाते समय यह मंगलमय मंत्र पढ़ना श्रेष्ठ होता है—
“शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धनसंपदाम्,
शत्रुबुद्धि विनाशाय, दीपज्योति नमोऽस्तुते॥”
पूजा सामग्री की सूची
रक्षाबंधन की पूजा के लिए थाली में सभी आवश्यक सामग्री होनी चाहिए—पीतल की थाली, अक्षत, दही, लाल चंदन या रोली, सुंदर राखी, रक्षासूत्र, गाय का घी, मिट्टी या पीतल का दीपक, रुई की बत्ती और मिठाई। ये सामग्री परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन की विधि को पूर्ण करती है।
रक्षाबंधन की संपूर्ण विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त यानी 4:22 बजे से 5:04 बजे के बीच उठकर स्नान और पूजा के लिए तैयार हो जाएं। यदि यह समय संभव न हो, तो अपने नियमित समय पर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। शुभ मुहूर्त में बहन राखी की थाली सजाए और भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाए, सिर पर कपड़ा रखें। सबसे पहले भाई के माथे पर लाल चंदन, दही और अक्षत से तिलक करें और मंत्र पढ़ें। इसके बाद भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधें और मिठाई खिलाएं। फिर गाय के घी का दीपक जलाकर भाई की आरती उतारें और उनके सुखमय जीवन की प्रार्थना करें।
भाई-बहन का आपसी आशीर्वाद और उपहार
राखी बांधने के बाद भाई को चाहिए कि वह अपनी बहन को उपहार और पैसे दे। अगर बहन बड़ी है, तो भाई उनके पैर छूकर आशीर्वाद ले, और यदि बहन छोटी है, तो प्यार के साथ उपहार देकर उसका सम्मान बढ़ाए। इस तरह यह पावन पर्व प्रेम, आदर और जिम्मेदारी की डोर को और मजबूत करता है।