स्वतंत्र समय, चैन्नई
इसरो ने रामसेतु ( Ram Setu ) को लेकर बड़ा खुलासा किया है। एजेंसी की ताजा रिसर्च से पता चला है कि रामसेतु के नीचे 11 संकरी नहर बहती थी, जिनके जरिए समुद्र का पानी इधर से उधर जाता था। रामसेतु देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था से गहराई से जुड़ा है। रामसेतु को लेकर कई बार सवाल भी उठे हैं। लेकिन हमेशा वैज्ञानिकों ने उन सवालों को खारिज किया है। अब भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने अपने सैटेलाइट की मदद से रामसेतु का ना सिर्फ मैप बनाया है बल्कि उसकी बनावट को लेकर भी खुलासा किया है। रामसेतु, जिसे अब तक आस्था की नजरों से देखा जाता था। अब उसे देश के वैज्ञानिकों ने उस पर विज्ञान की मुहर लगा दी है और वो भी देश की अंतरिक्ष संस्था इसरो ने। इसरो की इसी रिपोर्ट में रामसेतु का संपूर्ण भूगोल छिपा है। आपको रामसेतु से जुड़ी इस रिपोर्ट की एक-एक महत्त्वपूर्ण चीज बताते हैं।
समुद्र तल से 8 मीटर ऊपर बना Ram Setu
इसरो ने अपने मैप के जरिए ये पाया किया कि रामसेतु ( Ram Setu ) तमिलनाडु के धनुषकोड़ी से श्रीलंका के तलाईमन्नार तक बना हुआ है। इस पुल का करीब-करीब 100 फीसदी हिस्सा उथले पानी में है। मतलब पुल बहुत गहराई में नहीं है। रामसेतु समुद्र तल से 8 मीटर ऊपर बना हुआ है। सबसे हैरानी की बात ये है कि रामसेतु के नीचे 11 संकरी नहरें मिली हैं। जिससे समुद्र का पानी पुल के आर-पार जाता है।
15वीं सदी तक चलने लायक था सेतु
इसरो की रिपोर्ट से पहले यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सैटेलाइट ने भी रामसेतु का प्रमाण दिया था। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने माना था कि रामसेतु एक प्राकृतिक पुल है और ये 15वीं शताब्दी तक इस्तेमाल करने लायक था। अब इसरो की रिपोर्ट ने एक फिर बार रामसेतु को वैज्ञानिक प्रमाणित कर दिया है।
ICESat-2 सैटेलाइट से मिली तस्वीरें
इन्हीं संकरी नदियों की वजह से ही रामसेतु का अस्तित्व बरकार है। रामसेतु के भूगोल की रिपोर्ट इसरो की यूनिट एनआरएससी के जोधपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने तैयार की है। रामसेतु के रिसर्च के लिए इसरो के ICESat-2 सैटेलाइट का इस्तेमाल किया है। जिसे हिंदू रामसेतु मानते हैं उसे इसरो और दूसरे वैज्ञानिक एडम्स ब्रिज
कहते हैं।