स्वतंत्र समय, विदिशा
रंगई मंदिर में पहली बार अयोध्या राम मंदिर की तरह हनुमानजी का सूर्य तिलक ( Surya Tilak ) किया गया। विदिशा के रंगई स्थित श्री दादाजी सिद्ध मनोकामना पूर्ण हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती पर विशेष आयोजन हुआ। इस अनूठे आयोजन के लिए थाईलैंड से विशेष पैरीस्कोप मंगवाया गया। मंदिर के गर्भगृह में 40 फीट की दूरी से 2.5 इंच के पाइप का उपयोग किया गया। इसके जरिए सूर्य की किरणें हनुमानजी के मस्तक पर डाली गईं। कार्यक्रम में विशेष ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।
Surya Tilak बना लोगों का आकर्षण
मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया। बाहर का पूरा रास्ता भगवा झंडियों से सुसज्जित था। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। भक्तों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल मौजूद रहा। मंदिर प्रबंधन के अनुसार यह विदिशा का पहला मंदिर है, जहां सूर्य तिलक ( Surya Tilak ) की परंपरा शुरू की गई है। रंगई मंदिर में विदिशा के साथ-साथ दूर-दराज से भी श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि यहां की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है। मंदिर समिति प्रतिवर्ष नए आयोजन करती है। इस वर्ष शुरू की गई सूर्य तिलक की परंपरा श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण बनी।