प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर से पौष कृष्ण पक्ष की अष्टमी के अवसर पर निकलने वाली प्रभातफेरी श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। इस बार अनुमान है कि करीब पांच लाख श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होंगे, जो भक्तों की बाबा रणजीत हनुमान के प्रति अटूट आस्था को दर्शाता है। यह प्रभातफेरी सोमवार यानि आज सुबह पांच बजे से शुरू हुई। पिछले वर्ष इस आयोजन में लगभग साढ़े तीन लाख श्रद्धालु शामिल हुए थे और इस वर्ष यह संख्या काफी अधिक होने की उम्मीद है। बाबा रणजीत हनुमान के प्रति यह श्रद्धा और उत्साह हर वर्ष इस आयोजन को और भव्य बनाता है।
रणजीत हनुमान मंदिर से जुड़ी प्रभातफेरी की शुरुआत साधारण रूप से हुई थी, लेकिन समय के साथ यह एक विशाल आयोजन बन गई। भक्त मंडल के सदस्यों के अनुसार, प्रारंभिक वर्षों में पुजारी और कुछ भक्त भगवान की तस्वीर हाथ में लेकर मंदिर की परिक्रमा करते थे। 1985 से इस परंपरा में बदलाव आया, और प्रभातफेरी को ठेले पर निकालना शुरू किया गया। उस समय यात्रा का दायरा केवल महूनाका चौराहे तक सीमित था। लेकिन धीरे-धीरे इस आयोजन का विस्तार हुआ, और भक्तों की संख्या भी बढ़ने लगी। आज यह प्रभातफेरी लाखों भक्तों के साथ एक विशाल आयोजन का रूप ले चुकी है, जो भगवान रणजीत हनुमान के प्रति गहरी आस्था और भक्ति को दर्शाती है।
प्रभातफेरी के आयोजन में 2008 में एक नया अध्याय जुड़ा, जब इसे बग्घी पर निकालने की परंपरा शुरू की गई। इस बदलाव ने आयोजन को और अधिक भव्यता प्रदान की। इसके बाद, भक्तों ने बाबा रणजीत हनुमान के लिए रथ बनाने का संकल्प लिया, जिसे 2015 में पहली बार पूरा किया गया। उसी वर्ष से प्रभातफेरी रथ पर निकाली जाने लगी, जो भक्तों के लिए एक विशेष आकर्षण बन गई।
2016 में इस आयोजन में एक अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिला, जब भक्तों की संख्या अचानक बढ़कर 50,000 से अधिक हो गई। यह वृद्धि बाबा रणजीत हनुमान के प्रति भक्तों की बढ़ती आस्था और आयोजन की बढ़ती लोकप्रियता का प्रतीक थी। आज यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं के साथ भक्ति, परंपरा, और उत्साह का एक अनोखा संगम बन चुका है।
रणजीत हनुमान मंदिर की प्रभातफेरी हर वर्ष और भव्य होती जा रही है, और भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। मुख्य पुजारी दीपेश व्यास के अनुसार, अब इस प्रभातफेरी ने न केवल शहर बल्कि देशभर में अपनी पहचान बना ली है। इस आयोजन में सिर्फ स्थानीय भक्त ही नहीं, बल्कि आसपास के शहरों और दूर-दराज के इलाकों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होने आते हैं। खास बात यह है कि प्रभातफेरी के मार्ग में रहने वाले परिवारों के रिश्तेदार और नाते-रिश्तेदार आयोजन से एक-दो दिन पहले ही उनके घर पहुंच जाते हैं, ताकि इस विशेष यात्रा में भाग ले सकें।यह आयोजन अब केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि समाज और समुदाय को जोड़ने वाला एक भव्य उत्सव बन गया है, जो बाबा रणजीत हनुमान के प्रति भक्तों की अटूट आस्था को दर्शाता है।
रणजीत हनुमान मंदिर से सोमवार सुबह 5 बजे निकलने वाली भव्य प्रभातफेरी में श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का इंतजाम किया गया है। प्रभातफेरी में झांकियां, भजन मंडलों के वाहन, बग्घी, और रथ शामिल हैं। इन सभी को एक व्यवस्थित क्रम में सजाने और तैयार करने का कार्य रविवार रात 10 बजे से ही भक्त मंडल के सदस्य कर रहे थे। पूरे मार्ग को भगवा ध्वजाओं से भव्य रूप से सजाया गया है, जिससे यात्रा का वातावरण और अधिक भक्तिमय और दिव्य हो गया है। प्रभातफेरी का मार्ग महूनाका, अन्नपूर्णा मंदिर, नरेंद्र तिवारी मार्ग से होकर पुनः मंदिर तक जाएगा। इस भव्य आयोजन में झांकियों और भजनों की गूंज भक्तों के उत्साह और बाबा रणजीत हनुमान के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक होगी।
रणजीत अष्टमी महोत्सव के तीसरे दिन, रविवार को, बाबा रणजीत हनुमान का महाभिषेक सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आयोजित किया गया। हवन-पूजन और विधि-विधान के साथ यह महाभिषेक विभिन्न औषधियों और द्रव्यों से संपन्न हुआ। इसके बाद बाबा का विशेष शृंगार किया गया, जो भक्तों के लिए दिव्य और अलौकिक अनुभव का अवसर बना। इस पावन अवसर पर सवा लाख रक्षा सूत्रों को विधिपूर्वक अभिमंत्रित किया गया। इन रक्षा सूत्रों को प्रभातफेरी के बाद मंदिर परिसर से निश्शुल्क वितरित किया जाएगा। भक्त इन रक्षा सूत्रों को अपनी रक्षा और शुभता के प्रतीक के रूप में अपने साथ ले जा सकेंगे। यह आयोजन बाबा रणजीत हनुमान की दिव्य महिमा और भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक है, जो हर वर्ष भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और आनंद से भर देता है।