Ranjit Hanuman Temple : बाबा के दरबार में केवल पुण्य ही मिलता है

  • 2013 में आया मंदिर का स्वर्णिम काल
  • 10 सालों में मंदिर की काया ही बदल गई
  • 10 साल पहले शोभायात्रा में 50 श्रृध्दालु आते थे अब 5 लाख आते हैं
  • मंदिर के कायाकल्प में पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह की सबसे बड़ी भूमिका
  • अन्नक्षेत्र में रोज 600 से 700 श्रृध्दालु लेते हैं भोजन प्रसादी

विपिन नीमा, इंदौर

शहर के पश्चिम क्षेत्र में फूटीकोठी रोड पर स्थित रणजीत हनुमान मंदिर ( Ranjit Hanuman Temple ) यानी रणजीत बाबा के दरबार में सेवा का मौका मिलता है, श्रृध्दालुओं को निशुल्क भोजन, गरीब बच्चों के लिए विभिन्न होस्टलों में नाश्ता, बीमार बच्चों का निशुल्क इलाज, जैसे पुण्य वाले कार्य होते है। इस बातों पर मंदिर के मुख्य पुजारी दीपेश व्यास ने एक ही लाइन सब कुछ कह दिया। उनका कहा है की रणजीत बाबा के दरबार में सिर्फ पुण्य ही पुण्य मिलता है। कृष्टों का निवारण होता है, परेशानों की परेशानियां दूर होती है, मिन्नतें मांगने वालों की मनोकामना पूरी होती है।

Ranjit Hanuman Temple पर विशेष चर्चा हुई

रणजीत हनुमान मंदिर ( Ranjit Hanuman Temple ) के मुख्य पुजारी दीपेश व्यास जी का आज जन्म दिन है। इस मौके पर उनसे मंदिर के विकास , भक्तों की बढ़ती संख्या , मंदिर में श्रृध्दालूओं को मिलने वाली सुविधा आदि विषयों पर विशेष चर्चा हुई। विगत 48 सालों से रणजीत बाबा में लगे पुजारी व्यास ने बताया की 130 साल पहले बावा स्वंय भू प्रकट हुए थे। तब मंदिर के संस्थापक उनके परदादा स्व भोलाराम जी व्यास थे। यहीं से बाबा की सेवा का सिलसिला शुरू हुआ। आज हम पांचवीं पीढ़ी के रुप मे बाबा की सेवा कर रहे है। उन्होंने बताया की इनकी साधना अति सरल एवं सुगम है. जो कोई भी व्यक्ति सरलता से पूर्ण कर सकता है और उनके कृपा पात्र बन सकता है।

सबसे पहले पतरे की छत के नीचे विराजे थे बाबा

पुजारी व्यास ने बताया की बाबा की प्रतिमा प्रकट होने के बाद सबसे पतरे की छत ने नीचे काफी सालों तक मंदिर चला। इसके बाद 62-63 में मंदिर में थोड़ा बदलाव हुआ और शेड बन गया। इसके बाद बाबा की फिर कृपा हुई और वे गर्डर की छत के नीचे आ गए। 93-94 में मदिर का कायाकल्प हुआ तो आरसीसी की छत के नीचे बाबा विराजे। उन्होंने बताया की धीरे धीरे बाबा की कृपा होती रही और पूरे विकास के साथ मंदिर ने भव्य रुप धारण कर लिया। उन्होंने आगे बताया की 2005 में खजराना गणेश मंदिर की तरह रणजीत हनुमान मंदिर को भी टेक ओवर कर लिया। आज यहां श्री रणजीत हनुमान मंदिर धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट काम कर रहा है। इसके मुख्य संरक्षक कलेक्टर होता है।

ऐसे आया मंदिर का स्वर्णिम काल

मंदिर के मुख्य पुजारी दीपेश व्यास ने बताया कि 2013 में मंदिर का स्वर्णिम काल शुरू हुआ। मंदिर में चारों तरफ से विकास कार्यों की गंंंगा बहने लगी। उन्होंने कहा की तात्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने मंदिर के विकास में कोई कसूर नहीं रखी। उन्हीं के कार्यकाल में मंदिर परिसर में श्रृध्दालूओं के लिए निशुल्क अन्न क्षेत्र प्रारंभ हुआ। थैलेसीमिया रोगियों के लिए उचित उपचार सुनिश्चित करने की दिशा में एक अनूठा कदम उठाते हुए, मनीष सिंह ने शहर के प्रसिद्ध मंदिरों, खजराना गणेश मंदिर और रणजीत हनुमान मंदिर में थैलेसीमिया केंद्र स्थापित कर दिया। इस जानलेवा बीमारी का इलाज अधिकांश पीडि़तों के लिए महंगा है। इसे ध्यान में रखते हुए, प्रशासन रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान , और रक्त संचरण और दवाइयों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई । मंदिर ट्रस्ट हर माह थैलेसीमिया रोगियों के लिए दो से तीन लाख रु की दवाइयां उपलब्ध कराता है। इसी प्रकार 600 से 700 श्रृध्दालू प्रतिदिन मंदिर परिसर में संचालित अन्नक्षेत्र में ूभोजन प्रसादी ग्रहण करते है। शहर 8 होस्टलों में मंदिर की तरफ से गरीब बच्चों का नाश्ता पहुंचाया जाता है।

10 साल में मंदिर की काया ही पलट गई

मंदिर के पुजारी ने कहा की विगत 10 सालों में बाबा ने ऐसा चमत्कार दिखाया की पूरे मंदिर की काया ही बदल गई। 10 साल पहले जब हनुमान जंयती पर बाबा की सुबह पांच बजे पालकी यात्रा निकलती थी तब मुश्किल से 100 श्रृध्दालू उसमें शामिल होते थे, लेकिन जैसे जैसे मंदिर का विकास होता चला गया और श्रृध्दालूओं को सुविधाएं मिलती गई लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। पुजारी ने बताया की विगत दो सालों से हनुमान जयंती पर निकलने वाली पालकी यात्रा में लगभग 4 से 5 लाख श्रध्दालु शामिल हो रहे हैं।

पुजारी ने मंदिर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें भी बताई

  • वैसे तो मंदिर प्रतिदिन सुबह – शाम आरती होती है, लेकिन प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को विशेष रुप से साज सजावट होती है। ये दोनों ही दिन बाबा के लिए समर्पित रहते है।
  • मंदिर में भारी संख्या में भक्तगण अर्चना व दर्शन करने आते हैं। मंदिर सुबह और रात को दोनों विशेष पुजा व आरती होती है।
  • मंदिर प्रांगण में कोई हनुमान चालीसा पढ़ता हुआ दिखता है तो कोई राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है। कोई हनुमान कवच का पाठ करता है तो कोई बजरंग बाण का। कोई प्रभु हनुमान को चोला चढ़ाते हैं तो कोई दीपक लगाता है। इस प्रकार सारे भक्त अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार यहाँ हनुमानजी की आराधना करते हैं।
  •  मंगलवार और शनिवार को दोनों विशेष दिन बाबा के दर्शन के लिए तीन से चार हजार श्रृध्दालू आते है।
  • वर्तमान में मंदिर में 22 हजार श्रृध्दालु रजिस्टर्ड हंै, जो मंदिर के हर आयोजन में मौजूद रहते है।
  • मंदिर में जब भी भंडारा होता है तब व्यवस्था संभालने के लिए विशेष इंतजाम करने पड़ते है।
  • वर्तमान में यहाँ जीर्णोद्धार किया गया है, जिससे मंदिर ने और भी भव्यता धारण कर ली है।
  •  हनुमान जयंती पर यहां भक्तों का इतना सैलाब रहता है कि मंदिर प्रांगण तो दूर सडक़ पर भी खड़े रहने की जगह नहीं ही मिलती।
    इंदौर शहर में फूटी कोठी रोड पर स्थित रणजीत हनुमान मंदिर है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं। इनके चमत्कारिक रणजीत हनुमान कहा जाता है।
    कहते हैं यहाँ बुझी हुई हर मनोकामना पूरी होती है। रणजीत हनुमान मंदिर इंदौर के तीर्थ यात्रा के लिए एक अच्छी जगह है।