Indore News : इंदौर में लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र रणजीत हनुमान मंदिर अब केवल पूजा-पाठ ही नहीं, बल्कि समाज सेवा का भी एक बड़ा उदाहरण बन गया है। मंदिर में आने वाले दान का सदुपयोग करते हुए प्रबंधन कई बड़े सेवा प्रकल्प चला रहा है। इनमें सबसे प्रमुख थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की मदद और प्रतिदिन हजारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था शामिल है।
मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, दान पेटी में आने वाली राशि को सीधे तौर पर जनकल्याणकारी कार्यों में लगाया जाता है। यह सेवा कार्य पिछले कई वर्षों से लगातार जारी है और इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए संजीवनी
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित दीपेश व्यास ने बताया कि थैलेसीमिया से जूझ रहे बच्चों के इलाज में हर महीने महंगे इंजेक्शन और दवाओं की जरूरत होती है। गरीब परिवारों के लिए यह खर्च उठाना मुश्किल होता है। इसी समस्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने साल 2020 में एक विशेष योजना की शुरुआत की थी।
इस योजना के तहत वर्तमान में 29 बच्चे पंजीकृत हैं। इन बच्चों को हर महीने उनकी जरूरत के हिसाब से दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। एक बच्चे की दवा पर औसतन 3 हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक का खर्च आता है। कुल मिलाकर हर महीने इस कार्य पर साढ़े चार से 5 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं।
प्रशासनिक स्वीकृति के बाद मिलती है मदद
मदद की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक सख्त नियम भी बनाया गया है। रजिस्ट्रेशन के लिए बच्चों के मेडिकल दस्तावेज और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन की जांच की जाती है। इसके बाद तैयार की गई सूची को एसडीएम, एडीएम और कलेक्टर द्वारा स्वीकृत करवाया जाता है। इस काम की देखरेख के लिए दो कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं, जिनमें से एक स्वयं थैलेसीमिया पीड़ित है।
निशुल्क अन्नक्षेत्र: 800 लोग करते हैं भोजन
पंडित दीपेश व्यास के मुताबिक, मंदिर परिसर में एक विशाल अन्नक्षेत्र का संचालन किया जाता है। यहां प्रतिदिन लगभग 800 श्रद्धालु निशुल्क भोजन करते हैं। पहले अन्नक्षेत्र की स्थिति जर्जर थी, लेकिन 2013 में नवनिर्मित भवन की शुरुआत के बाद से यह व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है।
इसके अलावा, शाम के समय 500 हॉस्टल की बच्चियों को निशुल्क नाश्ता भी भेजा जाता है। यह पहल कोविड काल के दौरान शुरू की गई थी, जो अब तक निरंतर जारी है।
कोविड काल में बांटे गए थे 3.5 लाख पैकेट
मंदिर प्रबंधन ने आपदा के समय में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई है। पंडित व्यास ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान भी अन्नक्षेत्र बंद नहीं किया गया था। उस कठिन समय में रोजना लगभग 1200 भोजन के पैकेट सेवा कार्यों में लगे कर्मचारियों और जरूरतमंदों तक पहुंचाए जाते थे। कोविड काल के दौरान मंदिर की ओर से कुल साढ़े तीन लाख से अधिक भोजन पैकेट वितरित किए गए थे।
मंदिर समिति समय-समय पर रक्तदान शिविरों का भी आयोजन करती है, जिसमें भक्त मंडल के सदस्य बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इन सभी कार्यों का पूरा खर्च मंदिर में आने वाले दान से ही निकाला जाता है।