पीनल पाटीदार, इंदौर
16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली में हुए रेप ( rape )-मर्डर की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था और इसने एक बड़े आंदोलन की शुरुआत की। इस घटना के विरोध में लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसके दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। इस स्थिति में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग की घटनाओं की भी रिपोर्टें आईं।
rape मामलों में न्याय प्रणाली में सुधार किया गया
रेप ( rape)-मर्डर के बाद प्रदर्शन के संबंध में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से सवाल पूछे गए थे कि कैसे एक ऐसा देश, जहां शीर्ष पदों पर बेटियों के पिता हैं, वहां पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग स्वीकार्य हो सकता है। यह सवाल देश में महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस के व्यवहार को लेकर गहरी चिंता को दर्शाता है। इस घटना के बाद, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रोकथाम और न्याय प्रणाली में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कानून और नीतिगत परिवर्तन किए गए। इस घटना ने समाज में व्यापक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रेरणा का काम किया।साल 2012 की घटना ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रोकथाम और न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने को प्रेरित किया। हालांकि, इसके बावजूद, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (हृष्टक्रक्च) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में वृद्धि जारी रही है।
- 31,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
- पिछले साल (2021) में लगभग 13,000 रेप के मामले लंबित थे।
- 4,000 मामलों में फाइनल रिपोर्ट गलत पाई गई।
- 1,921 मामलों में दोष साबित होने के बावजूद, पर्याप्त सबूत नहीं जुटाए जा सके।
2022 में पुलिस द्वारा रेप के मामलों का निबटारा इस तरीके से हुआ
- ये आंकड़े बताते हैं कि रेप के मामलों में न्याय प्रक्रिया के दौरान कई चुनौतियाँ हैं, जिसमें सबूत जुटाने की कमी और मामले लंबित रहने की समस्याएं शामिल हैं।
साल 2022 में कोर्ट द्वारा रेप के मामलों के निबटारे की बात करें, तो रेप या गैंगरेप के बाद हत्या के करीब एक हजार मामले पिछले साल के पेंडिंग थे। रेप के 1 लाख 70 हजार से ज्यादा मामले पिछले साल के पेंडिंग थे। साल 2022 में रेप के मामलों में कॉनविक्शन रेट 27.4 फीसद था। यानी हर 100 में से करीब 27 मामलों में सजा सुनाई गई। वहीं 10′ रेप के मामलों में ही ट्रायल पूरा हो पाया। इसी साल गैंग रेप या रेप के साथ हत्या के मामलों में कॉनविक्शन रेट 69.4 फीसद था। लेकिन पेंडेंसी पर्सेंटेज 95 फीसद, कहें तो हर 100 में से 5 मामलों में ही ट्रायल पूरा हो पाया।
2022 - रेप या गैंगरेप: 31,516
- रेप के प्रयास: 3,288
- महिला की गरिमा पर हमले: 83,344
साल 2022 के आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रति दिन औसतन 87 रेप के मामले दर्ज किए गए।
साल 2012 से 2022 के बीच महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के आंकड़े चिंताजनक हैं, खासकर जब हम अव्यक्त मामलों की संख्या पर ध्यान दें। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार-
- 85′ मामलों की रिपोर्ट नहीं की जाती, जिसमें पति द्वारा की गई यौन हिंसा शामिल नहीं है।
- 99′ यौन हिंसा के मामले पुलिस में रिपोर्ट नहीं किए जाते यदि मैरिटल रेप के आंकड़े शामिल कर लिए जाएं।
इसके बावजूद, पुलिस ने 2012 से 2022 के बीच 3.6 लाख से अधिक रेप के मामले दर्ज किए, जो औसतन 99 मामले प्रति दिन होते हैं। हालांकि, इन मामलों में दोष सिद्ध होने की दर 30′ से भी कम है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि न केवल यौन अपराधों की रिपोर्टिंग में कमी है, बल्कि दोष सिद्धि की प्रक्रिया भी प्रभावी ढंग से कार्यान्वित नहीं हो रही है।
साल 2022 में रेप के मामलों की विशेष श्रेणियों में निम्नलिखित आंकड़े दर्ज किए गए
- गर्भवती महिलाओं के साथ रेप-34 मामले
- वह महिलाएं जो सहमति देने की अवस्था में नहीं थीं-224 मामले
- शारीरिक या मानसिक विकलांग महिलाओं के साथ रेप-110 मामले
- एक ही महिला के साथ बार-बार रेप- 4,681 मामले
ये आंकड़े दिखाते हैं कि रेप की घटनाएं विभिन्न विशेष परिस्थितियों में भी हो रही हैं, जैसे कि गर्भवती या विकलांग महिलाएं और बार-बार पीडि़त महिलाएं।
साल 2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले आंकड़ों के साथ दर्ज किए
- कुल मामले-1,60,000 से अधिक
- क्कह्रष्टस्ह्र एक्ट के तहत मामले-लगभग 40′ (इनमें बच्चों के साथ यौन अपराध शामिल हैं)
- बच्चियों के खिलाफ यौन अपराध (क्कह्रष्टस्ह्र एक्ट के तहत)- 62,095 मामले
- चाइल्ड रेप-लगभग 37,000 मामले
- बच्चों के यौन उत्पीडऩ-लगभग 20,000 मामले
ये आंकड़े देश में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की गंभीरता और व्यापकता को दर्शाते हैं।
साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, जेल में बंद कैदियों की स्थिति इस प्रकार है…
- कुल कैदी (आरोप साबित होने के बाद)-1,17,296
- हत्या के मामलों में सजा काट रहे कैदी- लगभग 63,000
- रेप के मामलों में सजा काट रहे कैदी- लगभग 18,000
ये आंकड़े जेलों में बंद कैदियों के अपराधों के प्रकार और उनकी गंभीरता को दर्शाते हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में कैदियों की स्थिति इस प्रकार है…
- कुल कैदी (महिलाओं के खिलाफ अपराधों में)- लगभग 23,000
- इनमें से रेप के मामलों में सजा काट रहे कैदी- लगभग 76′
यह आंकड़ा दर्शाता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कैदियों का एक बड़ा हिस्सा रेप के मामलों से संबंधित है।
विचाराधीन कैदियों की स्थिति इस प्रकार है…
- कुल विचाराधीन कैदी (महिलाओं के खिलाफ अपराधों में)- लगभग 73,000
- इनमें से रेप के मामलों में बंद विचाराधीन कैदी-लगभग 47,000
यह आंकड़ा दर्शाता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में विचाराधीन कैदियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रेप के मामलों से संबंधित है।