रतलाम: जिला कांग्रेस अध्यक्ष हर्ष विजय गहलोत का इस्तीफा, 4 महीने में ही छोड़ा पद

Ratlam News : मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठन के भीतर उथल-पुथल का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आलीराजपुर के बाद अब रतलाम ग्रामीण कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हर्ष विजय गहलोत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। गहलोत ने अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को भेज दिया है।

नियुक्ति के महज चार महीने बाद ही गहलोत का पद छोड़ना पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है। अपने त्यागपत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि पारिवारिक दायित्वों और अपने विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारियों के चलते वे संगठन के काम के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे पद से मुक्त होना चाहते हैं।

चार महीने पहले ही मिली थी जिम्मेदारी

जीतू पटवारी ने दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली थी। इसके करीब 18 महीने बाद, अगस्त 2025 में उन्होंने राज्य भर में 71 जिला अध्यक्षों की नई टीम घोषित की थी। इसी सूची में हर्ष विजय गहलोत को रतलाम ग्रामीण का जिम्मा सौंपा गया था। यह पद पहले से रिक्त चल रहा था। हालांकि, नियुक्ति के इतने कम समय में ही इस्तीफे की खबर ने सियासी गलियारों में चर्चा बढ़ा दी है।

आलीराजपुर अध्यक्ष ने भी छोड़ा था पद

रतलाम से पहले आलीराजपुर में भी कांग्रेस को झटका लगा था। 6 दिसंबर को आलीराजपुर के जिला कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने भी अपने पत्र में व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था। पटेल ने लिखा था कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संगठन को मजबूत करने का हरसंभव प्रयास किया है, लेकिन अब वे निजी वजहों से पद छोड़ रहे हैं।

ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के अगले दिन इस्तीफा

दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपना दो साल का कार्यकाल पूरा करते हुए मंगलवार को ही प्रदेश भर में 780 ब्लॉक और उप-ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां की थीं। संगठन को मजबूत करने की इस कवायद के ठीक अगले ही दिन रतलाम जिला अध्यक्ष का इस्तीफा सामने आ गया। इसे लेकर पार्टी के भीतर सुगबुगाहट तेज हो गई है।

विधायक ने उठाए चयन प्रक्रिया पर सवाल

लगातार हो रहे इस्तीफों पर पार्टी के भीतर से भी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। बड़वानी से कांग्रेस विधायक मोंटू सोलंकी ने इस घटनाक्रम पर चिंता जताई है।

“संगठन सृजन अभियान में इतनी लंबी प्रक्रिया करके नियुक्तियां हुई और उसके बाद अध्यक्ष यदि इस्तीफा दे रहे हैं, तो कहीं ना कहीं इसमें चूक है। संगठन को ऐसे मामलों पर संज्ञान लेना चाहिए।” — मोंटू सोलंकी, कांग्रेस विधायक

सोलंकी का यह बयान इशारा करता है कि नियुक्तियों की प्रक्रिया में समन्वय की कमी रही है, जिस पर अब पार्टी नेतृत्व को विचार करना होगा।