मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इंदौर और जबलपुर के बाद अब सतना जिला अस्पताल में भी गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां के एसएनसीयू (SNCU) यानी नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के बाहर और अंदर चूहों की बेखौफ आवाजाही देखी गई है। यह वही वार्ड है जहां गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है और संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है।
अस्पताल परिसर में चूहों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि वे मरीजों के बिस्तरों के नीचे और वार्डों के गलियारों में खुलेआम घूमते नजर आ रहे हैं। जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड के पास चूहों की मौजूदगी ने तीमारदारों की चिंता बढ़ा दी है। परिजनों को डर है कि कहीं ये चूहे उनके नवजात बच्चों को नुकसान न पहुंचा दें। यह स्थिति तब है जब प्रदेश के अन्य जिलों में चूहों द्वारा शवों को कुतरने जैसी शर्मनाक घटनाएं पहले ही हो चुकी हैं।
प्रबंधन की अनदेखी और सफाई पर सवाल
सतना जिला अस्पताल में सफाई व्यवस्था पर सालाना लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। वार्डों में गंदगी और चूहों की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी है कि अस्पताल प्रबंधन संक्रमण नियंत्रण को लेकर कितना गंभीर है। एसएनसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड में, जहां साफ-सफाई के मानक बेहद सख्त होते हैं, वहां चूहों का होना एक बड़ी प्रशासनिक विफलता है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, चूहे अक्सर डस्टबिन के आसपास और वार्ड के कोनों में देखे जा रहे हैं। कई बार ये चूहे बेड के नीचे भी घुस जाते हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि रात के समय चूहों का डर और बढ़ जाता है। वे न केवल खाने-पीने की चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि संक्रमण फैलाने का भी बड़ा कारण बन सकते हैं।
इंदौर और जबलपुर की घटनाओं से नहीं लिया सबक
यह पहली बार नहीं है जब मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चूहों का आतंक देखने को मिला है। इससे पहले इंदौर के एमवाय अस्पताल (MY Hospital) में चूहों द्वारा शव को कुतरने की घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। इसी तरह, जबलपुर के सरकारी अस्पताल में भी चूहों की समस्या सामने आ चुकी है। इन घटनाओं के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़े निर्देश जारी किए थे, लेकिन सतना की ताजा तस्वीरें बताती हैं कि उन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है।
जिम्मेदारों की चुप्पी
इस गंभीर मामले पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। चूहों को भगाने के लिए पेस्ट कंट्रोल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नदारद दिख रही हैं। जानकारों का मानना है कि अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो किसी नवजात के साथ अनहोनी हो सकती है। फिलहाल, अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।