RBI ने रेपो रेट 0.25% घटाया, होम लोन की EMI होगी कम, जानिए आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

New Delhi : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। इस कटौती के बाद रेपो रेट घटकर 5.25% पर आ गया है।

इस फैसले से आम आदमी को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर उन लोगों को जो होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं या पहले से EMI चुका रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से होम लोन की ब्याज दरों में ऐतिहासिक गिरावट आ सकती है। दरें 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पहले के स्तर तक पहुंच सकती हैं, जिससे घर खरीदारों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और उनकी मासिक किस्तों का बोझ भी घटेगा।

EMI पर कितना पड़ेगा असर?

रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा कर्जदारों को मिलता है। कई सरकारी बैंक जैसे यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक पहले से ही 7.35% की दर पर होम लोन दे रहे हैं। अब रेपो रेट में 0.25% की कमी के बाद यह दर घटकर 7.1% तक आ सकती है।

इसे एक उदाहरण से समझें तो अगर किसी ने 15 साल के लिए 1 करोड़ रुपये का होम लोन लिया है, तो ब्याज दर में 0.25% की कटौती से उसकी मासिक EMI में करीब 1,440 रुपये की कमी आएगी। यह बचत लंबी अवधि में एक बड़ी रकम बन सकती है।

बैंकों के सामने डिपॉजिट रेट की चुनौती

हालाकि, कर्ज सस्ता करने के लिए बैंकों को अपनी जमा दरों (Deposit Rates) में भी कटौती करनी होगी। बैंकर्स का कहना है कि नए ग्राहकों के लिए होम लोन की दर 7.1% तक लाने के लिए डिपॉजिट रेट्स में भारी कमी करनी पड़ेगी।

अगर बैंक ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा। जब तक जमा दरें कम नहीं होतीं, बैंकों के लिए उधारी दरें घटाना एक चुनौती बना रहेगा।

इसके विपरीत, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को कम फंडिंग लागत की वजह से तुरंत फायदा होगा। श्रीराम फाइनेंस जैसे लास्ट-माइल फाइनेंसर्स के लिए यह पॉलिसी एक बड़ी मदद है।

रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा बूस्ट

ब्याज दरों में कमी का सबसे बड़ा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को मिलने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कम EMI और स्थिर अर्थव्यवस्था मिलकर इस सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देंगे।

“भारत का रियल एस्टेट बाज़ार पहले से ही वैश्विक निवेशकों और NRI समुदाय के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अब ब्याज दरों में कमी से निवेश और भी लाभकारी होगा। स्थिर अर्थव्यवस्था, बढ़ती मांग और कम EMI मिलकर अगले कुछ तिमाहियों में भारत को निवेश की सर्वोत्तम डेस्टिनेशन बना देंगे।” — प्रेक्षा सिंह, सीईओ, अग्रशील इंफ्राटेक

वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स ने जमाकर्ताओं के लिए चिंता भी जाहिर की है।

“डिपॉजिटर्स के नजरिए से देखें तो रेपो रेट में कटौती से फिक्स्ड डिपॉजिट और दूसरी ब्याज वाली सेविंग्स पर घटते रिटर्न को लेकर चिंता पैदा होगी। हालांकि, कम रेट्स इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट कर सकते हैं, लेकिन अमीर निवेशक रियल यील्ड बनाए रखने के लिए रियल एस्टेट-फोकस्ड AIFs जैसे ज्यादा रिटर्न वाले प्रोडक्ट्स की ओर रुख कर सकते हैं।” — अंकुर जालान, सीईओ, गोल्डन ग्रोथ फंड

कुल मिलाकर, RBI का यह फैसला जहां एक तरफ कर्जदारों और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छी खबर है, वहीं दूसरी तरफ फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित निवेश पर निर्भर रहने वाले बचतकर्ताओं के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है।