स्वतंत्र समय, भोपाल
स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर से एक अहम नियम पूरे देश में लागू किया है। इसके तहत स्कूल बसों के निर्माण के समय उसमें फायर अलार्म एंड प्रोटेक्शन सिस्टम लगाना (एफएपीएस) अनिवार्य किया है। यह लगने से दुर्घटना या अन्य किसी वजह से यदि आग लगती भी है तो वह तुरंत नियंत्रित हो जाए। देश के सभी बस निर्माताओं ने इसकी अनिवार्यता का स्वागत भी किया है, लेकिन अब उनके सामने बड़ी समस्या यह आ गई है कि यह एफएपीएस बनाने वाली देश में अधिकृत सिर्फ 4 कंपनी ही हैं और सिस्टम की मांग के अनुरूप सप्लाय नहीं कर पा रही हैं। नई बसों में एफएपीएस नहीं लगने से उनका आरटीओ में रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। पिछले साढ़े 3 महीने में करीब 20 हजार बसों के रजिसट्रेशन अटक गए हैं। दो दिन पहले लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर परेशानी बताई है। व्यवहारिक परेशानी के चलते गडकरी ने एफएपीएस की सप्लाय सामान्य नहीं होने के चलते कुछ समय के लिए नए आदेश की अनिवार्यता खत्म करने की बात कही है। इस महीने के अंत में संशोधित नोटिफिकेशन भी जारी किया जाएगा।
बसों में बैठने वाले बच्चों की सुरक्षा बढ़ेगी
लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री प्रकाशचंद, अध्यक्ष घनश्याम ओझा, कोषाध्यक्ष समीर मूंदड़ा, मप्र के अध्यक्ष राजेश मिश्रा और शिवनारायण शर्मा सहित अन्य सदस्यों ने दिल्ली जाकर गडकरी से मुलाकात की। शर्मा ने बताया, देश में हर साल 75 हजार स्कूल बसों का निर्माण होता है। एफएपीएस नहीं मिलने से देश में करीब 20 हजार बसों के रजिस्ट्रेशन अटक गए हैं। कई कंपनियों ने बसों का उत्पादन ही फिलहाल रोक दिया है। मप्र की भी 5 हजार स्कूल बसों के रजिस्ट्रेशन अटके हैं। केंद्रीय मंत्री ने हमें एफएपीएस की सप्लाय सामान्य होने तक इसकी अनिवार्यता फिलहाल खत्म करने की बात कही है। नया सिस्टम लगने से बसों में बैठने वाले बच्चों की सुरक्षा बढ़ेगी। हम इस आदेश का स्वागत करते हैं। मुलाकात के दौरान राजस्थान, उत्तरप्रदेश और दिल्ली के बस निर्माता भी मौजूद थे।