जगदीप धनखड़ पर रिश्तेदार ने तोड़ी चुप्पी

जगदीप धनखड़ : देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं। अब उनके पारिवारिक सदस्य सामने आए हैं। धनखड़ की पत्नी के भाई और वकील प्रवीण बलवाड़ा ने कहा कि इस्तीफा किसी राजनीतिक दबाव के कारण नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि धनखड़ की तबीयत लगातार खराब हो रही थी और वे काम को लेकर बहुत ज्यादा जिम्मेदार थे। इसी कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।

कॉलेज के दोस्त बोले: कभी दबाव में नहीं देखा

मीडिया से बात करते हुए प्रवीण बलवाड़ा ने कहा कि वे जगदीप धनखड़ को कॉलेज के समय से जानते हैं और कभी उन्हें किसी दबाव में नहीं देखा। उनके ऊपर कभी कोई राजनीतिक या और तरह का दबाव नहीं रहा। बलवाड़ा ने बताया कि धनखड़ हमेशा आत्मनिर्भर और अपनी सोच पर चलने वाले व्यक्ति रहे हैं। इसलिए यह कहना कि उन्होंने किसी दबाव में आकर इस्तीफा दिया, पूरी तरह गलत और बिना आधार के है।

स्वास्थ्य को लेकर पहले से थी चिंता: परिवार

प्रवीण बलवाड़ा ने बताया कि जगदीप धनखड़ कुछ समय से सेहत संबंधी परेशानियों से गुजर रहे थे। मार्च में उनकी स्टेंट डलवाने की सर्जरी हुई थी और उन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या भी थी। कई बार उन्हें चक्कर भी आए, फिर भी उन्होंने अपनी सेहत को नजरअंदाज किया। उपराष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी निभाना और खराब सेहत के बीच उनके लिए संतुलन बनाए रखना कठिन हो गया था। इसलिए उन्होंने परिवार की सलाह को मानते हुए इस्तीफा देना उचित समझा।

राज्यपाल पद की नियुक्ति को लेकर उत्साह की कमी

धनखड़ के रिश्तेदार प्रवीण बलवाड़ा ने बताया कि जब उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था, तब वे इस जिम्मेदारी को लेकर बहुत उत्साहित नहीं थे। वे हमेशा जमीन से जुड़े और सादा स्वभाव के व्यक्ति रहे हैं। बलवाड़ा ने कहा कि इस बार धनखड़ ने परिवार की भावनाओं को समझा और उनकी राय का सम्मान किया। शायद इसी कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया। यह फैसला सोच-समझकर और परिवार की भलाई को ध्यान में रखकर लिया गया।

जनता को सरकार पर भरोसा नहीं: अशोक गहलोत

धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने भले ही इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य बताई है, लेकिन जनता इस पर भरोसा नहीं कर रही। उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़ किसी दबाव में काम कर रहे थे और उनका इस्तीफा भी उसी दबाव का नतीजा है। गहलोत ने इस फैसले पर सरकार से साफ जवाब देने की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आए।