मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। अब ग्रीष्मकालीन मौसम में उगाई गई मूंग और उड़द की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने के लिए 19 जून से पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह पंजीकरण 6 जुलाई 2025 तक किया जा सकेगा।
पंजीकरण के लिए विकल्प और जरूरी दस्तावेज
किसान समग्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं या फिर अपने नजदीकी कृषि उपज मंडी में जाकर यह प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, IFSC कोड, और भूमि अधिकार पुस्तिका की स्व-प्रमाणित प्रति अनिवार्य है। बटाईदार किसानों को अपने अनुबंध की प्रति भी लगानी होगी।
मूंग की खरीदी इन जिलों में होगी
राज्य सरकार ने 36 जिलों को मूंग उपार्जन केंद्रों के रूप में चिन्हित किया है, जिनमें नर्मदापुरम, सीहोर, रायसेन, देवास, गुना, सागर, जबलपुर, भोपाल, खरगोन, बड़वानी, धार, श्योपुर, शिवपुरी, मंदसौर, और बालाघाट प्रमुख हैं। इन जिलों के किसान मूंग की फसल MSP पर बेच सकेंगे।
उड़द की खरीदी केवल 13 जिलों में
उड़द फसल की खरीदी जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी, दमोह, मंडला, उमरिया, बालाघाट, सिवनी, पन्ना, और छिंदवाड़ा जैसे 13 जिलों में की जाएगी। इन क्षेत्रों में उड़द उत्पादन अधिक होता है, इसलिए वहां खरीद केंद्र सक्रिय किए जाएंगे।
खरीदी और उपार्जन की तारीखें
खरीदी की प्रक्रिया 7 जुलाई से शुरू होगी और 6 अगस्त 2025 तक चलेगी। इस अवधि में सभी पंजीकृत किसान MSP पर अपनी उपज बेच सकेंगे। पंजीकरण नहीं कराने वाले किसान योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
अनुमानित उत्पादन और रकबा
मध्यप्रदेश में करीब 14.35 लाख हेक्टेयर भूमि पर मूंग की बुवाई होती है और इससे लगभग 20.23 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान है। वहीं उड़द की बुवाई 0.95 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, जिससे करीब 1.24 लाख मीट्रिक टन उपज मिलने की संभावना है।
यह रहेगा एमएसपी
ग्रीष्मकालीन मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹8,682 प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि उड़द के लिए यह ₹7,400 प्रति क्विंटल रखा गया है। किसानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी उपज भारत सरकार द्वारा तय गुणवत्ता मानकों (Specifications) के अनुसार हो।
कैसे होगा भुगतान और प्रमाणिकता
खरीदी के बाद किसानों को कम्प्यूटर प्रिंटेड पावती दी जाएगी, जिसमें किसान का नाम, बैंक खाता नंबर और देय राशि की जानकारी होगी। यह पावती खरीदी केंद्र प्रभारी द्वारा हस्ताक्षरित होगी और यही भुगतान का प्रमाण होगी।
सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए प्रशिक्षण
उपार्जन कार्य को पारदर्शी और नियमबद्ध बनाने के लिए जिला स्तर पर संबंधित अधिकारियों और संस्थाओं को मूंग-उड़द की गुणवत्ता जांच के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सकेगा।
किसानों को जागरूक करने की योजना
राज्य सरकार MSP और फसल गुणवत्ता मानकों के प्रचार-प्रसार पर जोर दे रही है, जिससे किसान अपनी उपज सीधे केंद्रों पर उचित मूल्य पर बेच सकें और किसी बिचौलिये के झांसे में न आएं।