महंगाई से राहत और ग्रोथ की चाल तेज, RBI रिपोर्ट से मिली दोहरी सौगात

दुनिया भर में मंदी की आहट और व्यापारिक तनाव के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को अपनी ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर में मजबूती बनी रहेगी। खास बात यह है कि महंगाई में आई गिरावट ने सरकार और आरबीआई को अब ग्रोथ पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का मौका दिया है।

इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत की आर्थिक मजबूती की नींव उसके घरेलू बाजार पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स’ (जैसे आंकड़े जो अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को दर्शाते हैं) से यह संकेत मिलते हैं कि शहरी क्षेत्रों में मांग तेजी से बढ़ी है, जबकि ग्रामीण भारत में यह पहले से मजबूत बनी हुई है। इसका बड़ा श्रेय कृषि क्षेत्र को जाता है, जो अच्छी बारिश और बंपर बुवाई के कारण मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती

आकड़े बताते हैं कि इस साल खेती-किसानी को काफी सहारा मिला है, और जलाशयों का रिकॉर्ड स्तर पर भरना और मिट्टी में पर्याप्त नमी रबी सीजन के लिए अच्छे संकेत हैं। कारोबारियों का भरोसा भी मजबूत हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में व्यापारिक विश्वास छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई का मानना है कि आगामी त्योहारी सीजन और जीएसटी दरों में कमी से मांग बढ़ेगी और उत्पादन में भी वृद्धि होगी, जिससे अर्थव्यवस्था और तेजी से गति पकड़ेगी।

महंगाई में गिरावट: आम आदमी को मिली राहत

आरबीआई की रिपोर्ट में सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि सितंबर में खुदरा महंगाई दर (CPI) में तेज गिरावट आई है, जो जून 2017 के बाद सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों के दामों में कमी के कारण आई है, जिससे आम आदमी को राहत मिली है। हालांकि, ‘कोर महंगाई’ (जिसमें खाद्य और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं होतीं) में हल्की बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसका कारण सोने और हाउसिंग की बढ़ी कीमतें हैं।

क्या ब्याज दरों में होगी कमी?

महंगाई में गिरावट का सीधा असर ब्याज दरों पर हो सकता है। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, विकास दर को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत बदलाव की संभावना बढ़ी है। इसका मतलब यह हो सकता है कि आरबीआई ब्याज दरों में कमी कर सकता है, जिससे लोन सस्ते हो सकते हैं और खर्च बढ़ने से अर्थव्यवस्था को और गति मिल सकती है।

वैश्विक संस्थाओं ने भी भारत की अर्थव्यवस्था को सराहा

भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति पर सिर्फ आरबीआई ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी मुहर लगा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.6% कर दिया है, जो कि पहले से अधिक है। इसी तरह, OECD और विश्व बैंक ने भी भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान में वृद्धि की है। खुद आरबीआई ने भी 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8% तक बढ़ा दिया है, जो भारत की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है।