एमपी में धार्मिक उन्माद, पवित्र ग्रंथों को जलाने से भड़की हिंसा, यूपी के 2 आरोपी गिरफ्तार

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन सक्रिय हो गया। स्थानीय पुलिस ने मौके का जायजा लिया और आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू की। शुरुआती जांच में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिनके आधार पर आगे कार्रवाई की जा रही है।

छह संदिग्धों पर दर्ज हुआ मामला

जिला पुलिस अधीक्षक अगम जैन के निर्देश पर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए छह संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिन आरोपियों पर मुकदमा कायम किया गया है, उनमें हर्ष पटैरिया, मनोज पटैरिया, सत्तू अनुरागी, सुनील राजपूत, उमेश पाल और गज्जू उर्फ उन्नू राजपूत के नाम शामिल हैं। इन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 326(घ), 196, 299, 331(6), 3(5) के तहत केस दर्ज किया गया है।

दो मुख्य आरोपी यूपी से दबोचे गए

पुलिस ने तेजी दिखाते हुए 12 स्पेशल टीमों का गठन किया। जांच में जुटी टीमों ने कुछ ही घंटों में बड़ी सफलता हासिल की। दोपहर तक पुलिस ने दो मुख्य आरोपी हर्ष पटैरिया और मनोज पटैरिया को यूपी के महोबा जिले से गिरफ्तार कर लिया। दोनों से पूछताछ की जा रही है, जबकि बाकी चार आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश में दबिशें दी जा रही हैं।

घटना को लेकर बढ़ी संवेदनशीलता, इलाके में बढ़ाई सुरक्षा

एसपी अगम जैन ने बताया कि यह घटना अत्यंत संवेदनशील है। असामाजिक तत्वों द्वारा धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना कानून के तहत गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा, “पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बाकी आरोपियों की तलाश में हमारे दल लगे हुए हैं।” इलाके में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

राज्य स्तर पर प्रशासनिक सख्ती जारी

वहीं, पूरे प्रदेश में प्रशासन ने हाल के दिनों में भी 19 अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की है, जिसमें 3 को निलंबित किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस पर कड़े तेवर दिखाते हुए साफ संदेश दिया है कि कानून व्यवस्था या प्रशासनिक लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

एमपी में लगातार घटनाएँ और सख्त प्रशासनिक रुख

बीते दिनों मध्यप्रदेश के कई जिलों से पुलिस पर हमले और भीड़ हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। कहीं पुलिस टीम पर पथराव हुआ तो कहीं देर रात थाने पर हमला कर दिया गया। इन घटनाओं ने राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद प्रशासन अलर्ट मोड में है।

कार्रवाई और व्यवस्था, सरकार का स्पष्ट संदेश

सरकार ने हाल ही में भ्रष्ट सरपंचों और सचिवों के खिलाफ भी वारंट जारी कर जेल भेजने के आदेश दिए हैं। वहीं कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर मंत्रालय बैठकें कर रहा है, जिससे जल्द ही लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात मिलने की उम्मीद है। प्रशासन ने किया भरोसा कायम रखने का प्रयास घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर और एसपी खुद इलाके में डेरा डालकर स्थिति संभालने में जुटे हैं। पुलिस प्रशासन का कहना है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और क्षेत्र में शांति एवं विश्वास का माहौल कायम किया जाएगा।