स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश में रिवाल्वर-पिस्टल का शस्त्र लायसेंस ( Arms License ) लेना स्टेट्स सिंबल माना जाता है। सबसे ज्यादा शस्त्र लायसेंस प्रदेश के भिंड और मुरैना जिले में लोगों के पास हैं। मप्र में करीब दो लाख रिवाल्वर-पिस्टल के शस्त्र लायसेंस पिछले सालों में जारी किए गए हैं। पिछली भाजपा सरकार में रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस पाने के लिए पार्टी नेता से लेकर बड़े व्यापारी, बिल्डर और गणमान्य नागरिकों ने बड़ी संख्या में आवेदन किए थे।
Arms License गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है
रिवाल्वर का शस्त्र लायसेंस ( Arms License ) कलेक्टर की अनुशंसा और कमिश्नर द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने पर गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। गृह विभाग में रिवाल्वर लायसेंस की स्वीकृति गृह मंत्री की मंजूरी के बाद मिलती है। पिछली शिवराज सरकार में सांसद, विधायक और अन्य विभागों के मंत्रियों ने रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस देने के लिए अनुशंसा जरूर की, मगर अधिकांश लोगों को ये लायसेंस नहीं मिल पाए, जिसके चलते पूर्व गृह मंत्री के बंगले से 4 हजार से ज्यादा फाइलों को बिना स्वीकृति गृह विभाग को लौटा दिया गया।
सबसे ज्यादा मामले भोपाल-इंदौर के पेंडिंग
रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस पाने के लिए इंदौर के बड़े बिजनेसमैन और भोपाल में नेताओं द्वारा की गई अनुशंसाओं से जुड़े ज्यादा मामले पेंडिंग हैं। इसके बाद ग्वालियर-चंबल संभाग, उज्जैन संभाग, नर्मदापुरम, जबलपुर, शहडोल और रीवा संभाग के लोगों द्वारा मांगे गए रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस जारी नहीं किए गए हैं। खासकर नई सरकार में गृह मंत्री नहीं होने के कारण पेडिंग मामलों की संख्या बढ़ी है, क्योंकि सीएम के पास करीब दस डिपार्टमेंट हैं और सभी विभागों को समय देना संभव नहीं है। इस कारण भी संख्या में इजाफा हुआ है।
पूर्व गृह मंत्री ने खास लोगों को दिए लायसेंस, सामान्य को नहीं
गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक, पूर्व गृह मंत्री ने भाजपा संगठन द्वारा की गई कुछ अनुशंसाओं सहित कुछ खास चहेते लोगों को ही रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस को स्वीकृतियां दी। जबकि पार्टी विधायक, सांसद और अन्य नेताओं द्वारा की गई अनुशंसाओं को तवज्जो नहीं दी। वहीं, शासकीय सेवा से जुड़े अधिकारियों, सामान्य वर्ग के कई लोगों को भी आवेदन करने पर लायसेंस नहीं मिल पाया। इसे लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी भाजपा सरकार पर शस्त्र लायसेंस को लेकर आरोप लगाए थे।