राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) की NAAC मूल्यांकन रिपोर्ट को लेकर छिड़ा विवाद अब गंभीर अकादमिक संकट में बदल गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया है कि उच्च रैंकिंग हासिल करने के लिए स्व-अध्ययन रिपोर्ट (SSR) में कई गलत, भ्रामक और मनगढ़ंत तथ्य दर्ज किए गए हैं। इसी विवाद के बीच गुरुवार शाम विश्वविद्यालय के कुलगुरु राजीव त्रिपाठी ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया, जिससे मामला और अधिक गम्भीर हो गया।
ABVP का प्रदर्शन, 22 बड़ी अनियमितताओं का आरोप
SSR रिपोर्ट के विरोध में ABVP कार्यकर्ता दोपहर से ही कुलपति कक्ष के बाहर प्रदर्शन करते रहे। ABVP से शिवम जाट के अनुसार, SSR रिपोर्ट में करीब 22 गंभीर गड़बड़ियां पाई गई हैं। यह रिपोर्ट NAAC टीम के आने से पहले सार्वजनिक होनी थी, लेकिन इसे अचानक 17 नवंबर को अपलोड कर दिया गया, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठे। प्रांत मंत्री केतन चतुर्वेदी ने इसे अकादमिक भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बताते हुए कहा कि इस तरह की गड़बड़ी विश्वविद्यालयों की साख को नुकसान पहुंचाती है।

ABVP की PPT में उजागर 20 प्रमुख विसंगतियाँ
ABVP द्वारा प्रस्तुत विवरण में SSR रिपोर्ट की 20 गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है।
इनमें शामिल प्रमुख बिंदु—
- Vision–Mission का मेल नहीं – SSR में लिखा विज़न–मिशन विश्वविद्यालय की वेबसाइट से पूरी तरह अलग।
- छात्र परिषद का झूठा दावा – सक्रिय स्टूडेंट काउंसिल का उल्लेख, जबकि ऐसा कोई परिषद मौजूद ही नहीं।
- खेल सुविधाओं का फर्जी विवरण – स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का दावा, पर वास्तविकता शून्य।
- NAAC मान्यता प्राप्त कॉलेजों की गलत संख्या – 323 में से 300 कॉलेजों को मान्यता प्राप्त बताया गया, जबकि वास्तविक संख्या बहुत कम है।
- Wi-Fi सुविधाओं का उल्टा दावा – SSR में मजबूत इंटरनेट बताया, जबकि कैंपस में कनेक्टिविटी बेहद खराब।
- गैर-शिक्षण स्टाफ का गलत डेटा – SSR में दर्ज संख्या वास्तविक आंकड़ों से मेल नहीं खाती।
- ग्रीन कैंपस का दावा गलत – नो-व्हीकल डे और प्लास्टिक प्रतिबंध कभी लागू नहीं हुआ।
- 620 करोड़ अनुदान का झूठा उल्लेख – सरकार से मिले फंड को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।
- हॉस्टल सुविधाओं पर भ्रम – रिपोर्ट में उत्कृष्ट सुविधाएं लिखीं, जबकि हालात विपरीत।
- भ्रष्टाचार में हटाए गए VC की प्रशंसा – हटाए गए VC को SSR में सराहना।
- भूमि विवरण में घोर अंतर – कहीं 247 एकड़, कहीं 241.14 एकड़, 53 एकड़ का अंतर संदिग्ध।
- BOS की बैठक का फर्जी दावा – पिछले 5 वर्षों में कोई बैठक नहीं हुई।
- NEP 2020 लागू दिखाया – तकनीकी शिक्षा में लागू नहीं होने के बावजूद रिपोर्ट में अनुपालन बताया।
- पेटेंट डेटा में गड़बड़ी – बढ़ी हुई पेटेंट संख्या दर्शाई गई, एक पेटेंट MITS में पहले से दर्ज।
- दिव्यांग सुविधाओं पर गलत जानकारी – SSR में सभी भवनों में रैंप और लिफ्ट का दावा, जबकि केवल प्रशासनिक भवन में ही सुविधा।
- महिला प्रकोष्ठ निष्क्रिय, पर रिपोर्ट में सक्रिय – Women’s Cell केवल कागजी।
- AQAR रिपोर्ट में देरी – कई वार्षिक रिपोर्ट दो–तीन साल देरी से जमा।
- पीएचडी और फैलोशिप का संदिग्ध डेटा – फैकल्टी के डॉक्टरेट की संख्या बढ़ाई गई।
- शिक्षकों की गलत संख्या – वरिष्ठता सूची में 40 शिक्षक, SSR में 71 दिखाए।
- अकादमिक ऑडिट का झूठा दावा – ऑडिट होने का दावा, पर कोई रिकॉर्ड नहीं।
ABVP की तीन प्रमुख मांगें
विरोध के दौरान ABVP ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ तीन मुख्य मांगें रखीं—
- SSR में की गई कथित गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों पर FIR दर्ज की जाए।
- विश्वविद्यालय में तत्काल धारा 54 लागू की जाए।
- RGPV को तीन अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जाए ताकि प्रशासनिक क्षमता बढ़े और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
मंत्री से मुलाकात, FIR और जांच की मांग
मंगलवार को ABVP प्रतिनिधिमंडल ने प्रांत मंत्री केतन चतुर्वेदी के नेतृत्व में तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने SSR रिपोर्ट से जुड़ी विसंगतियों के प्रमाण सौंपे और तत्काल FIR, धारा 54 लागू करने तथा NAAC मूल्यांकन प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच की मांग उठाई।