Indore News/ WHO : कैमरून में 12 मासूम बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार बताई गई रीमैन लैब्स की दूसरी फैक्ट्री अब इंदौर में फिर से चालू हो गई है। सूत्रों के अनुसार, यह फैक्ट्री पहले सांवेर रोड पर संचालित थी, जिसे बंद करने के बाद कंपनी ने चालाकी से बिचौली हप्सी स्थित मुंडला दोस्दार गांव में नई यूनिट शुरू कर दी। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में इंदौर के ड्रग इंस्पेक्टर राजेश जीनवाल की मिलीभगत सामने आई है।
जानकारी के मुताबिक, ड्रग कंट्रोलर ने जुलाई 2025 में ही जीनवाल को आदेश दिया था कि रीमैन लैब्स के खिलाफ केस दर्ज किया जाए, लेकिन उन्होंने कार्रवाई टाल दी। जब मामला तूल पकड़ने लगा तो जीनवाल छुट्टी लेकर चले गए। बताया जा रहा है कि उनकी मदद से ही कंपनी के मालिकों ने दूसरी फैक्ट्री शुरू की और उत्पादन फिर से चालू कर दिया।
कैमरून कांड के बाद भी अधिकारियों ने समय पर कदम नहीं उठाए। आखिरकार 8 अक्टूबर को देर शाम जाकर कोर्ट में कंपनी संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया, जबकि यह कार्रवाई दो साल पहले हो जानी चाहिए थी। अधिकारियों के अनुसार, जीनवाल ने यह तर्क दिया कि वे यह जांच कर रहे थे कि कंपनी को कच्चा माल किसने सप्लाई किया, जबकि यह जांच आवश्यक नहीं थी। नियम के तहत, दवा निर्माता को केवल लाइसेंस प्राप्त आपूर्तिकर्ता से ही कच्चा माल लेना होता है और तैयार दवा की लैब जांच कराना अनिवार्य होता है।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद भारत सरकार के सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की टीम इंदौर की रीमैन लैब्स फैक्ट्री पहुंची थी। जांच में दवा के सैंपल में डायएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) की मात्रा 26 प्रतिशत से अधिक पाई गई थी, जबकि डब्ल्यूएचओ मानक के अनुसार इसकी सीमा सिर्फ 0.10 प्रतिशत है। यह रसायन अत्यधिक जहरीला होता है और बच्चों की मौत का प्रमुख कारण साबित हुआ था।
इस रिपोर्ट के बाद CDSCO ने सांवेर रोड स्थित रीमैन लैब्स की फैक्ट्री को सील कर दिया था और उसका लाइसेंस नंबर 28/8/91 निलंबित कर दिया था। बावजूद इसके, कंपनी ने प्रशासन