आरटीओ सोया कुंभक्रर्ण की नींद, सड़कों पर मेडीकैप्स कॉलेज की ‘बसें बनी यमदूत’

इंदौर शहर ट्रैफिक समस्या से जुझ रहा है। जहां ट्रैफिक पुलिस यातायात संभालने में नाकारा साबित हो रही है। ऐसे में इंदौर का आरटीओ भी कुंभक्रर्ण की नींद सो रहा है। आरटीओ शहर में चलने वाली और शहर से गुजरने वाली बसों की चैकिंग तो नियमित नहीं करता यह जगजाहिर है।  लेकिन शहर के अंदर चल रही स्कूल बसों की निगरानी और चेकिंग तक भी आरटीओ नहीं कर पा रहा है। शहर में लगातार स्कूल बसों के द्वारा सड़कों पर वाहनों को टक्कर मार कर वाहन चालकों को मौत के घाट उतार दिया गया है।  जहां पुलिस सिर्फ ड्राइवरों पर कार्रवाई करके अपने कर्तव्यो की इतिश्री कर लेती है वहीं इसके लिए जिम्मेदार कॉलेज प्रशासन और आरटीओं सहित यातायात पुलिस पर भी कार्रवाई होना चाहिए।


मैडिकैप्स कॉलेज की बस ने बुझा दिया चिराग
कॉलेज की बसें भी यमदूत की तरह सड़कों पर दौड़ रही है। मैडिकैप्स कॉलेज की बस ने इंदौर के एमजी रोड इलाके में शुक्रवार(31 अक्टूबर) देर शाम अपने घर जा रहे बाइक सवार दो दोस्तों को टक्कर मार दी। बस का पहिया एक दोस्त के सिर के ऊपर से गुजर गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। यहां पर बाइक से प्रेम कुमार पिता रामकिशन मंडलोई, निवासी मूसाखेड़ी, अपने दोस्त देवीलाल के साथ बाइक से जा रहा था। तभी मेडिकैप्स स्कूल की तेज रफ्तार बस ने उन्हें चपेट में ले लिया। इस हादसे में देवीलाल की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि प्रेम कुमार का पैर फ्रैक्चर हुआ है।

अगस्त में भी ली थी छात्रा की जान
मेडिकैप्स कॉलेज की बस ने मल्हारगंज थाना क्षेत्र के अंतिम चौराहा रोड पर 20 अगस्त को भी एक की जान ली थी। यहां पर मेडिकैप्स स्कूल एंड यूनिवर्सिटी ग्रुप की बस ने तेज रफ्तार में बेकाबू होकर चार गाड़ियों से टक्कर मार दी थी। हादसे में एक्टिवा सवार व्यक्ति और एक स्कूली छात्रा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरी छात्रा और एक सीएनजी ऑटो चालक गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

स्कूल बसों के मालिकों पर कोई कार्रवाई नहीं
मेडिकैप्स कॉलेज की बस सहित अन्य कई स्कूल बसों और बसों के दवारा लगातार यमराज की तरह बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। हादसे हो रहे है। कई घरों के चिराग बुझ रहे है तो कई घरों के चिराग अपाहिज हो रहे है।  किसी घर का मुखिया इन हादसो में मौत के मुंह में समा रहा है इसके बाद पूरा घर तबाह हो रहा है लेकिन इन तमाम हादसों और मौतों का जिम्मेदार सिर्फ बस के ड्राइवर को बता कर पुलिस अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है लेकिन इन हादसों के मुख्य जिम्मेदार बस मालिक या स्कूल के संचालक होते है।

समय की तलवार है लटकाते
शहर में स्कूल संचालकों के द्वारा और निजी बस ऑपरेटरों के दवारा लगातार बस ड्राइवरों को समय पर बस लाने का दबाव बनाया जाता है। जिसके कारण बस के ड्राइवर अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में यह भूल जाते है कि इंदौर शहर की सड़कों का ट्रैफिक ऐसा नहीं है कि स्कूल बसों को तय समय के अनुसार चलाया जा सके। जिसके चलते कॉलेज बस के ड्राइवर अंधाधूंध बस चलाना शुरू क देते है। जिसके चलते सड़कों पर बसे यमदूत की तरह दौड़ती है।

मेडिकैप्स कॉलेज के जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी
मेडिकैप्स कॉलेजी की बस के दवारा हो रहे हादसों के बारे में जब मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर से बात करने की कोशिश की। तो उन्होने कॉल नहीं उठाया। ना ही पहले भी हुए एक्सीडेन्ट में उन्होने कोई बात की। यहां पर सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकैप्स कॉलेज ने किसी बस ऑपरेटर से बसों को ठेके पर ले रखा है। बस के रखरखाव व उसे चलाने वाले ड्राइवरों को ठेका उसी बस ऑपरेटर के दे रखा है।

आरटीओ के पास कोई रिकॉड नहीं
अब सड़कों पर होने वाले हादसो के लिए जिम्मेदार आरटीओ विभाग जिनके जिम्मेदार अधिकारी कभी कॉलेज बसों, स्कूल बसों की चेकिंग नहीं करते। आरटीओँ के अधिकारियों के द्वारा जब कॉलेज बसों के नियमों का पालन और तमाम तरह की नियमित चेकिंग के बारे में पुछा जाता है तो वह जवाब देने से कन्नी काट लेते है। हाल फिलहाल जब मेडिकैप्स कॉलेज में कितनी बसे चलती है उनकी नियमित चैकिंग कौन करता है। कॉलेज-स्कूल बसों में स्पीड गवर्नेंस लगाने के आदेश आए थे उन आदेशों का पालन कौन कर रहा है। ऐसी तमाम जानकारी लेने के लिए जब आरटीओ प्रदीप शर्मा से जानकारी लेना चाही तो उन्होने भी कॉल नही उठाया ना ही कोई प्रतिक्रिया दी।