रीवा स्थित श्याम शाह मेडिकल कॉलेज का ईएनटी विभाग एक बार फिर विवादों में आ गया है। इस बार विभाग में कार्यरत डॉक्टर असरफ पर नर्सिंग छात्राओं ने मानसिक उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार के गंभीर आरोप लगाए हैं। कुल 80 छात्राओं ने एकजुट होकर उनके खिलाफ आवाज उठाई है, जिससे कॉलेज प्रशासन और स्वास्थ्य शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
ABVP का आक्रोशित प्रदर्शन – डीन कार्यालय का घेराव
मामला सामने आने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने मंगलवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने डीन कार्यालय का घेराव कर “डीन तुम शर्म करो” और “डॉ. असरफ इस्तीफा दो” जैसे नारे लगाए। ABVP के जिला संयोजक पीएन पांडेय ने इस घटना को रीवा की प्रतिष्ठा पर दाग बताते हुए आरोपी डॉक्टर को तत्काल बर्खास्त करने की माँग की।
छात्राओं ने किया ड्यूटी करने से इनकार
नर्सिंग छात्राओं ने खुलकर बताया कि डॉ. असरफ का व्यवहार लंबे समय से असहज और डरावना रहा है। इसके चलते कई छात्राओं ने ENT विभाग के ऑपरेशन थिएटर में काम करने से साफ इनकार कर दिया है। डीन और प्राचार्य को दी गई लिखित शिकायत में उन्होंने यह भी बताया कि यह व्यवहार उनके क्लीनिकल ट्रेनिंग के माहौल को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
डीन और प्राचार्य ने लिया संज्ञान, जांच समिति गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राचार्य ने ENT विभाग में छात्राओं की ड्यूटी तत्काल प्रभाव से रोक दी है। इसके साथ ही डीन को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग की गई। डीन डॉ. सुनील अग्रवाल ने त्वरित कदम उठाते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. शशि जैन को इस समिति का जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
पहले भी विवादों में रहा ENT विभाग
यह पहली बार नहीं है जब ENT विभाग विवादों में आया हो। कुछ महीने पहले इसी विभाग में एक वार्डबॉय पर नाबालिग लड़की के साथ दुर्व्यवहार और सामूहिक दुष्कर्म (गैंगरेप) के आरोप लगे थे, जिसने कॉलेज की छवि को बुरी तरह प्रभावित किया था। अब फिर से छात्राओं की सामूहिक शिकायतों ने कॉलेज की महिला सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
महिला सुरक्षा पर सवाल, प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में महिला सुरक्षा और अनुशासन दोनों ही कमजोर पड़ चुके हैं। छात्राओं की शिकायत के बाद भी अगर प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह उच्च शिक्षा संस्थानों में महिलाओं के लिए असुरक्षित माहौल को दर्शाता है। अब पूरा शहर इस बात की निगरानी कर रहा है कि जांच समिति और कॉलेज प्रशासन कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करता है।