एस. जयशंकर की चीन यात्रा से पहले तिब्बत को लेकर बयानबाज़ी तेज

एस. जयशंकर : भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 14 और 15 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने चीन जा रहे हैं। यह उनकी पहली चीन यात्रा है, जब से 2020 में लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव हुआ था। इस दौरे से पहले चीन के दूतावास ने तिब्बत को दोनों देशों के रिश्तों में रुकावट बताया है और कहा है कि यह भारत के लिए एक बोझ बन गया है।

चीन बोला, तिब्बत बना भारत-चीन संबंधों में रुकावट

चीन के दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि कुछ भारतीय विशेषज्ञों ने दलाई लामा के अगले जन्म को लेकर गलत बातें कही हैं, जो भारत सरकार के रुख से अलग हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत से जुड़े मामले चीन के अंदर की बातें हैं और इसमें कोई बाहरी दखल नहीं बर्दाश्त किया जाएगा। दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव चीन का अपना मामला है। यह बात उन्होंने सोशल मीडिया पर कही है।

दलाई लामा पर विवाद क्यों छिड़ा? जानिए वजह

हाल ही में दलाई लामा ने कहा कि उनके अगले जन्म की पहचान केवल तिब्बती बौद्धों की एक भरोसेमंद संस्था कर सकती है। इस बात पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि दलाई लामा का पुनर्जन्म चीनी सरकार की अनुमति से ही होगा। चीन तिब्बत को शीजांग कहता है और किसी भी विदेशी दखल को अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है। चीन इस मामले में सख्त रुख रखता है।

तिब्बत पर चीन का कड़ा संदेश

चीन की प्रवक्ता ने कहा कि तिब्बत (शीजांग) मुद्दा भारत-चीन रिश्तों में समस्या बन गया है और भारत के लिए बोझ भी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत तिब्बत का मुद्दा उठाएगा तो इससे उसे ही नुकसान होगा। चीन इसे गंभीर मुद्दा मानता है और भारत को सावधानी बरतने को कहा है।

जयशंकर होंगे SCO बैठक में भारत के प्रतिनिधि

जयशंकर की यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के विवादित इलाके से सैनिक हटाकर रिश्ते सुधारने की कोशिश शुरू की है। इस दौरान जयशंकर की चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिलने की संभावना है। पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में एससीओ की बैठक में हिस्सा लिया था। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी दो बार चीन जा चुके हैं।