Ola-Uber को टक्कर देने आ रही “सहकार टैक्सी”, शहरों में जल्द शुरू होगी सहकारी सेवा, ड्राइवरों को मिलेगा पूरा लाभ

भारत सरकार अब टैक्सी सेवाओं के क्षेत्र में एक नई पहल के साथ प्रवेश करने जा रही है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 के उद्घाटन के दौरान घोषणा की कि देश में इस वर्ष के अंत तक सहकारिता मॉडल पर आधारित टैक्सी सेवा शुरू की जाएगी। यह सेवा न केवल ड्राइवरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि यात्रियों को भी किफायती और पारदर्शी राइडिंग विकल्प देगी। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सहकार से समृद्धि” विजन के तहत तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य सहकारी ढांचे के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

ओला-उबर जैसी कंपनियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

सरकार की इस नई सहकारी टैक्सी सेवा के शुरू होने से निजी कंपनियों जैसे Ola और Uber को सीधी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि सहकारी मॉडल के कारण यात्रियों को कम किराए में बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी, जबकि ड्राइवरों को अपने मेहनत का पूरा पारिश्रमिक मिलेगा। वर्तमान में कई टैक्सी चालक निजी ऐप आधारित कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले अत्यधिक कमीशन और मनमाने नियमों से परेशान हैं। सहकार टैक्सी सेवा में न तो कोई बिचौलिया होगा और न ही अतिरिक्त कटौती, जिससे ड्राइवरों की आमदनी में सीधा इजाफा होगा।

दुनिया में पहली बार सरकारी सहकारी टैक्सी मॉडल

अगर यह योजना तय समय पर लागू होती है, तो भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा, जहां निजी राइड-हेलिंग सेवाओं के लिए सरकार समर्थित एक सहकारी विकल्प उपलब्ध होगा। आज तक किसी अन्य देश ने ऐसी कोई सहकारी टैक्सी सेवा नहीं चलाई है। भारत में सहकारी संस्थाओं की गहरी जड़ें रही हैं, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण “अमूल” है, जिसने न केवल भारत को दूध उत्पादन में अग्रणी बनाया, बल्कि वैश्विक डेयरी उद्योग में भी मजबूत स्थान दिलवाया।

50 करोड़ लोगों को सहकारिता से जोड़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य

अमित शाह ने इस नीति की घोषणा करते हुए बताया कि सरकार की योजना है कि 2025 के अंत तक 50 करोड़ लोगों को सहकारी संस्थाओं से जोड़ा जाए। यह केवल आर्थिक भागीदारी नहीं होगी, बल्कि लोगों को इन संस्थाओं का सक्रिय सदस्य बनाकर रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में कदम होगा। सरकार का इरादा है कि 2034 तक सहकारी क्षेत्र का भारत की GDP में योगदान तीन गुना कर दिया जाए, जो एक क्रांतिकारी आर्थिक बदलाव हो सकता है।

नीति निर्माण में विशेषज्ञों की भूमिका अहम

नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में बनी 40 सदस्यीय समिति ने तैयार किया। इस प्रक्रिया में कई शिक्षाविद, क्षेत्रीय नेता, विशेषज्ञों और नियामक संस्थाओं जैसे आरबीआई और नाबार्ड के साथ विचार-विमर्श हुआ। इस व्यापक सहभागिता ने नीति को न केवल व्यावहारिक, बल्कि भविष्य की जरूरतों के अनुरूप भी बनाया है।

गांव-गांव में सहकारिता के जरिए सुविधाएं

नई नीति के तहत अब प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को बहुउद्देशीय केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा। इन केंद्रों के माध्यम से दवाइयों की दुकानों (जन औषधि केंद्र), डीजल-पेट्रोल पंप और एलपीजी गैस वितरण जैसी सेवाएं ग्रामीण इलाकों में सीधे उपलब्ध होंगी। वर्तमान में, 4108 PACS को जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति दी जा चुकी है और सैकड़ों समितियों ने ईंधन और गैस वितरण के लिए आवेदन भी किया है।

नीति की प्रमुख बातें

• सहकारिता कानूनों में हर 10 वर्षों में आवश्यक संशोधन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
• सहकारी संस्थाओं द्वारा निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रणाली विकसित की जाएगी।
• वर्तमान में मौजूद 8.3 लाख सहकारी समितियों की संख्या में 30% तक की वृद्धि की जाएगी।
• हर पंचायत स्तर पर कम से कम एक प्राथमिक सहकारी संस्था की स्थापना की जाएगी।
• क्लस्टर आधारित व्यवस्था के तहत सहकारी समितियों को संगठित किया जाएगा।
• सभी सहकारी संस्थाओं को कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में सशक्त किया जाएगा।