स्वतंत्र समय, इंदौर
एलआईजी चौराहा से नौलखा तक एलिवेटेड ( elevated bridge ) कॉरिडोर प्रोजेक्ट की फाइल भले ही हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गई हो, लेकिन कांग्रेस सरकार के दौरान लाए गए इस प्रोजेक्ट को फिर से अस्तित्व लाने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है।
elevated bridge नितिन गड़करी से करवाया था स्वीकृत
सज्जनसिंह वर्मा ने पत्र में लिखा है कि बीआरटीएस कॉरिडोर के अलग-अलग हिस्सों में फ्लाय ओव्हर ब्रिज बनाने की बजाय केवल एक एलिवेटेड ( elevated bridge ) कॉरिडोर बनाने से सारी परेशानी दूर हो जाएगी। केंद्रीय परिवहन मंत्री को लिए गए इस पत्र का एक प्रति श्री वर्मा ने सीएम डॉ. मोहन यादव को भेजी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जनसिंह वर्मा जब कमलनाथ सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री थे तब उन्होंने एलआाईजी से नौलखा तक एलिवेटेड बनाने का प्रोजेक्ट तैयार करवाकर केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी से स्वीकृत करवाया था। इसके लिए सरकाार ने 300 करोड़ स्वीकृत भी कर दिए थे, लेकिन मोहन यादव सरकार ने इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया। इस मामले में पूर्व मंत्री वर्मा ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर एलिवेटेड बनाने की मांग की है।
एलिवेटेड ब्रिज के टेंडर बेहद पारदर्शी तरीके से हुए थे
वर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि इंदौर शहर में एलआईसी चौराहा से नौलखा चौराहा तक बनने वाले एलिवेटेड ब्रिज की स्वीकृति के लिए आपका प्रयास सदैव काबिले तारीफ रहा था। इस ब्रिज के बनने से जहां शहर को यातायात के दबाव से मुक्ति मिलती वहीं महानगर को सुंदर दिखने का अवसर भी प्राप्त होता। इस एलिवेटेड ब्रिज को लेकर बकायदा फिजिकली सर्वे भी किया गया था। बेहद पारदर्शी तरीके से टैंडर भी हो चुके थे। यह टेंडर उत्तरप्रदेश सरकार की इकाई ब्रिज कार्पोरेशन को मिला था। इसमें भ्रष्टाचार की कोई गुजाइश नहीं थी। इस एलिवेटेड ब्रिज को लेकर टेंडर होने के बाद इसका काम भी प्रारंभ हो चुका था। परन्तु पिछले दिनों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पूरी योजना को निरस्त कर दिया।
7 मिनिट में नितिन गडकरी ने प्रोजेक्ट की मंजूरी दे दी थी
उन्होंने लिखा है कि स्थानीय नेताओं ने मुख्यमंत्री को गुमराह करने के लिए उन्हें गलत जानकारी दी गई। जिस पर मुख्यमंत्री ने इसकी बजाय 7 नए ओवर ब्रिज बनाने का ऐलान कर दिया है। इस मामले में इंदौर के ख्यातनाम इंजीनियरों ने पूरे मामले में एक रिपोर्ट बनाकर मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी दी है , जिसमें उन्होंने ओवरब्रिजों के निर्माण को पूरी तरह अव्यवहारिक बताते हुए यह भी बताया कि यह सभी ओवरब्रिज ओव्हरलेप हो जाएंगे, साथ ही निकलने के लिए सर्विस रोड भी नहीं मिल पाएगी। यह योजना कांग्रेस के कार्यकाल में मेरे मंत्रित्व काल के अंतर्गत आपके द्वारा स्वीकृत की गई थी। मध्यप्रदेश को लेकर आपकी व्यापक और सार्थक सोच की वजह से ही आपने इंदौर को एलिवेटेड पूल की सौगात मात्र 7 मिनिट में ही दे दी थी।
ठेका निरस्त होने पर सरकार को लगेगा 35 करोड़ का चूना
उन्होंने आगे लिखा है कि इंदौर का एलिवेटेड पुल का ठेका निरस्त होता है तो मध्यप्रदेश सरकार को 35 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान भी होगा और इंदौर शहर विकास की रफ्तार से फिर 5 साल पीछे चला जाएगा। मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप कर शहर के विकास को सही दिशा में ले जाने में मदद करें। मैं इस पत्र के साथ इंजीनियरों द्वारा दी गई रिपोर्ट भी आपको संलग्न कर रहा हूं। जगह-जगह पूल बनाने की बजाय एलिवेटेड पुल से शहर के ट्रैफिक को बड़ी राहत मिलेगी। मेरा विश्वास है कि आप इसमें दूरदर्शी निर्णय लेंगे। इसके लिए पूरा इंदौर शहर आपका आभारी रहेगा। मैं स्वयं पूरी कांग्रेस की तरफ से आपका भव्य स्वागत करूंगा। वर्मा ने पत्र की प्रतिलिपि सीएम मोहन यादव को भी भेजी है।