पटना: बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पार्टी ने सम्राट चौधरी को एक बार फिर विधानमंडल दल का नेता चुन लिया है। वहीं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा को उप-नेता चुना गया है। यह फैसला पटना स्थित भाजपा प्रदेश मुख्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया।
इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और विनोद सोनकर पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद थे। बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, दोनों उप-मुख्यमंत्री की भूमिका निभाएंगे। यह निर्णय बिहार में सत्ता के नए समीकरणों को दर्शाता है।
सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर
सम्राट चौधरी वर्तमान में बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और अपनी आक्रामक छवि के लिए जाने जाते हैं। उनका राजनीतिक करियर काफी लंबा और विविध रहा है।
उन्होंने 1999 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और राबड़ी देवी की राजद सरकार में कृषि मंत्री का पद संभाला। वह परबत्ता विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं। बाद में, वह JDU में शामिल हुए और विधान परिषद के सदस्य बने।
साल 2018 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, जिसके बाद पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता गया। उन्हें पहले प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया और 2021 में वह नीतीश सरकार में भाजपा कोटे से पंचायती राज मंत्री बने। मार्च 2023 में पार्टी ने उन्हें बिहार भाजपा के अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। उनके पिता, शकुनी चौधरी, कोइरी समुदाय के एक प्रभावशाली नेता रहे हैं, जिसका लाभ भी उन्हें मिलता रहा है।
‘पगड़ी’ वाली प्रतिज्ञा से आए थे चर्चा में
सम्राट चौधरी उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में आए जब उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ एक अनोखी प्रतिज्ञा ली थी। जब नीतीश कुमार ने एनडीए से नाता तोड़ा था, तब सम्राट चौधरी ने संकल्प लिया था कि जब तक वे नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा नहीं देंगे, तब तक अपने सिर पर बंधी पगड़ी नहीं उतारेंगे।
हाल ही में जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर एनडीए में वापसी की, तो सम्राट चौधरी ने अपनी पगड़ी उतार दी। इस घटना ने उनकी राजनीतिक शैली को और भी चर्चित बना दिया।
विजय सिन्हा को भी मिली अहम जिम्मेदारी
इस नए राजनीतिक घटनाक्रम में विजय कुमार सिन्हा का कद भी बढ़ा है। उन्हें विधानमंडल दल का उप-नेता चुना गया है और वह भी उप-मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे। विजय सिन्हा पिछली एनडीए सरकार में विधानसभा अध्यक्ष के पद पर थे। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई थी। अब सरकार में उनकी वापसी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इन नियुक्तियों को बिहार में भाजपा की सामाजिक समीकरण साधने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।