sandalwood smuggler veerappan की बेटी लड़ रही चुनाव

स्वतंत्र समय, चेन्नई

साउथ के कुख्यात डाकू और चंदन तस्कर वीरप्पन ( sandalwood smuggler veerappan ) की बेटी विद्या रानी भी चुनाव में खड़ी हो रही हैं। दलितों और दूसरी पिछड़ी जातियों के लिए आवाज उठाने वाली विद्या रानी वकील हैं। एनटीके के टिकट पर खड़ी हो रही हैं। ये दल एनडीए के छोटे दलों में से एक है। रानी ने कहा कि मैं अनचेती इलाके में पली-बढ़ी हूं। यहीं मेरे पिता ने भी लड़ाई लड़ी थी। जंगल-पहाड़ की बेहतरी और इससे जुड़े लोगों की मुश्किलें खत्म करना मकसद है। उनके लिए बोलती रहूंगी। यूं तो हमेशा ही लड़ते रहते हैं, लेकिन अब राजनीति के जरिये आवाज उठाएंगे।

sandalwood smuggler veerappan की बेटी विद्या रानी लड़ेंगी चुनाव

गांव और जंगल के लोग तो मेरे साथ हैं ही… शहरी आबादी से भी गुजारिश है कि बदलाव देखना चाहते हैं, तो मुझे मौका दें। चंदन तस्कर विरप्पन (sandalwood smuggler veerappan) की बेटी विद्या रानी तमिलनाडू के कृष्णागिरि सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी। वह अपने पिता को अपना आदर्श मानती हैं।उन्होंने हाल ही में बीजेपी छोड़ी है। डाकू वीरप्पन 2004 में तमिलनाडु पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के साथ मुठभेड़ के दौरान मारा गया था। विद्या रानी अपने पिता से केवल एक बार ही मिली हैं। वह अपने नाना के घर पर रहती थी और वहीं पर उनकी मुलाकात अपने पिता वीरप्पन से हुई थी।उस समय वह तीसरी कक्षा में पढ़ाती थी। विद्या रानी को आरएसएस और वनवासी कल्याण आश्रम ने गोद ले लिया था। वहीं रहकर उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी है।

चंदन तस्कर विरप्पन की बेटी ने कहा, अपने पिता को अपना आदर्श मानती हूं

वह शुरू से ही अपने पिता को अपना आदर्श मानी है। हाल ही उन्होंने एक बयान में कहा था कि मेरे पिता हमेशा गरीबों के बारे में सोचते थे, लेकिन उनका रास्ता गलत था। उन्होंने कहा कि वह लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आई हैं। विद्या रानी ने वीवी पुरम लॉ कॉलेज से पढ़ाई की है। वह एक वकील और एक एक्टिविस्ट हैं। वह कृष्णागिरि इलाके में बच्चों के लिए एक स्कूल चलाती हैं। दलित और आदिवासियों के लिए काम करती हैं। वीरप्पन का जन्म 18 जनवरी 1952 को गांव में एक चरवाहा परिवार में हुआ था। वीरप्पन का पूरा नाम कूज मनुस्वामी वीरप्पा गोडन था। बचपन में उसे लोग मोलाकाई नाम से बुलाते थे। 18 वर्ष की उम्र में वह एक अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया था। देखते ही देखते वीरप्पन ने उसने चंदन और हाथीदांत का सबसे बड़ा तस्कर बना गया था।2004 में एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया था।