सीमित साधनों में संघ के स्वयंसेवकों ने घोष का विकास किया : Mohan Bhagwat

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के आयोजन स्वर शतकम की शुरूआत हुई।  घोष वादन के समापन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) शामिल हुए। दशहरा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि एक साथ इतने स्वयंसेवक संगीत का प्रस्तुतिकरण कर रहे हैं, यह एक आश्चर्यजनक घटना है। हमारी रण संगीत परंपरा, जो विलुप्त हो गई थी, अब फिर से लौट आई है। महाभारत में पांडवों ने युद्ध के समय घोष किया था, उसी तरह संघ ने भी इसे फिर जागृत किया है।

Mohan Bhagwat बोले- मिलिट्री और पुलिस से ही संघ ने संगीत सीखा

संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर दशहरा मैदान पर आयोजित कार्यक्रम में ध्वजारोहण के बाद मालवा प्रांत के 28 जिलों के 870 घोष वादकों ने प्रस्तुति दी। इस मौके पर भागवत ( Mohan Bhagwat ) ने कहा कि संघ जब शुरू हुआ, तब शारीरिक कार्यक्रमों के साथ-साथ संगीत की भी आवश्यकता पड़ी थी। उस समय मिलिट्री और पुलिस से ही संघ ने संगीत सीखा था। यह सब देशभक्ति के लिए किया गया। संघ में कार्य की सांघिकता और अनुशासन के अभ्यास के लिये संघ में संगीत अर्थात् घोष को सम्मिलित किया गया। सीमित साधनों में संघ के स्वयंसेवकों ने घोष का विकास किया। चित्त को आनंद देने वाले भारतीय रागों से कार्यकतार्ओं में अनुशासन और सत्कर्म की प्रेरणा मिलती है।

रचना का साथ-साथ वादन करना, संघ का अनुशासन है

भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किया जाने वाला घोष वादन किसी प्रदर्शन की प्रेरणा से नहीं, अपितु विशुद्ध देशभक्ति और संघकार्य की प्रेरणा है। संघ की आज्ञा पर घोषवादन सीखना, एक साथ वादन करना, एक ही प्रकार की रचना का साथ-साथ वादन करना, संघ का अनुशासन है। संघघोष, स्वयंसेवकों में सदवृत्तियों की वृद्धि करता है। संघकार्य के व्रत को धैर्य और सातत्य देने में घोष एक साधन भी है। एक ताल में सबके साथ, सबमें एक होने के लिये संयमित होकर वादन करना, अनुशासन का अभ्यास है। सबके आनंद के लिये, सबको सुख की अनुभूति देने वाला, यह एक संहतिबद्ध घोष वादन है। मालवा प्रांत के तीन दिवसीय घोष शिविर के समापन पर आयोजित स्वर-शतकम कार्यक्रम में मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में कबीर भजन गायक पद्मश्री कालूराम बामनिया, प्रांत संघचालक प्रकाश शास्त्री और विभाग संघचालक मुकेश मोढ़ उपस्थित थे। संघ के शताब्दी वर्ष में कार्य विस्तार एवं गुणवत्ता कार्यक्रम की श्रृंखला में मालवा प्रांत में घोष वादन का गुणवत्तापूर्ण कार्यक्रम स्वर-शतकम संपन्न हुआ। इसमें मालवा प्रांत के सभी 28 जिलों से सम्मिलित हुए 870 वादकों ने पचास से अधिक घोष रचनाओं की पचास मिनिट से अधिक की अनवरत प्रस्तुति दी। पिछले छ: माह से मालवा प्रांत के विभिन्न स्थानों पर स्वयंसेवकों ने वेणु, शंख, आनक, त्रिभुज, पणव, गौमुख, नागांग और तूर्य वाद्यों का प्रशिक्षण लिया।ध्वजारोहण एवं संघ की प्रार्थना के प्रारंभ हुए स्वर-शतकम कार्यक्रम में हजारों की संख्या में जनसामान्य और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।