Sarkari Yojana: सोलर पैनल से बनाएं सब्जियों का कूलिंग चैंबर, किसान को सरकार दे रही ₹12.5 लाख की खास सहायता

Sarkari Yojana: बिहार सरकार ने बागवानी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसमें सोलर पैनल से संचालित कूलिंग चैंबर के निर्माण के लिए सब्सिडी प्रदान की जा रही है। यह कूलिंग चैंबर एक तरह का फ्रिज होता है, जिसमें फलों और सब्जियों को ताजा रखने की सुविधा होती है।

कूलिंग चैंबर के फायदे

– ताजगी बनाए रखना: यह चैंबर फलों और सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करता है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों को बेहतर मूल्य पर बेचने का मौका मिलता है।
– ऊर्जा कुशल: सोलर पैनल से संचालित होने के कारण, यह चैंबर ऊर्जा की खपत को कम करता है और पर्यावरण के अनुकूल है।
– सरकारी सब्सिडी: बिहार सरकार इस चैंबर के निर्माण पर लाखों रुपये तक की सब्सिडी दे रही है, जिससे किसानों को इसे स्थापित करने में आर्थिक मदद मिलती है।

आवेदन प्रक्रिया

सरकार ने इस योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह योजना न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मदद करेगी, बल्कि बागवानी उत्पादों की गुणवत्ता और बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ाएगी। बिहार में फल और सब्जियों के भंडारण के लिए सोलर पैनल वाले माइक्रो कूलिंग चैंबर तैयार करने की योजना के तहत किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

योजना की विशेषताएँ

– कूलिंग चैंबर की लागत: प्रति माइक्रो कूलिंग चैंबर की लागत 25 लाख रुपये तय की गई है।
– सब्सिडी की राशि: किसानों को इस कूलिंग चैंबर के लिए सरकार की ओर से 12.50 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी।
– चयन प्रक्रिया: लाभार्थी किसानों का चयन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के सिद्धांत के आधार पर किया जाएगा।

लक्ष्य और वित्तीय योजना

– उद्देश्य: वित्तीय वर्ष 2024-25 में 10 यूनिट लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए कुल वित्तीय लक्ष्य 10 करोड़ रुपये है।
– कोल्ड स्टोरेज: इसके अलावा, 50 कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स को सौर ऊर्जा से चलाने का भी प्रावधान है। प्रति कोल्ड स्टोरेज पर 25 लाख रुपये की लागत आएगी, जिसमें से 12.50 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में दिए जाएंगे।
– कुल वित्तीय लक्ष्य: इस पहल के लिए विभाग ने 87..5 करोड़ का वित्तीय लक्ष्य तय किया है.

कूलिंग चैंबर क्या होता है?

सोलर पैनल वाला माइक्रो कूलिंग चैंबर एक विशेष प्रकार का कूलिंग उपकरण है, जो फ्रिज की तरह काम करता है और किसानों को उनकी जल्दी खराब होने वाली उपज, जैसे फल और सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करता है। यह चैंबर सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होता है, जिससे किसानों को बिजली की लागत में कमी आती है।

प्रमुख विशेषताएँ

– उपज भंडारण: यह कूलिंग चैंबर लगभग 10 टन तक उपज को स्टोर कर सकता है, जिससे फसलें जल्दी खराब नहीं होतीं।
– ऊर्जा की बचत: सौर ऊर्जा से चलने के कारण, यह किसानों को नियमित बिजली खर्च से बचाता है।
– लंबे समय तक ताजगी: कूलिंग चैंबर में फल और सब्जियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे किसान उन्हें बाजार में उचित मूल्य पर बेच सकते हैं।

लाभ 

– बाजार में बेहतर कीमत: किसान अपनी फसलें जल्दी मंडी नहीं ले जाते, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा मिल सकता है। जब फसलें सुरक्षित रहती हैं, तो वे सही समय पर और बेहतर कीमत पर बिक सकती हैं।
– कम बिजली खपत: सौर ऊर्जा का उपयोग करने से बिजली की खपत कम होती है, जिससे बिजली बिल में भी कमी आती है।
– कम तनाव: उपज के जल्दी खराब होने का डर खत्म हो जाता है, जिससे किसानों को मानसिक शांति मिलती है।

सोलर पैनल माइक्रो कूलिंग चैंबर की स्थापना से किसानों को काफी लाभ हो सकता है और यह कृषि उत्पादन को स्थिरता प्रदान कर सकता है।

किसान कैसे करें आवेदन

किसान सोलर पैनल वाले माइक्रो कूलिंग चैंबर के लिए आवेदन करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:

1. राज्य सरकार की वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले, राज्य सरकार के हॉर्टिकल्चर (बागवानी) वेबसाइट पर जाएं।

2. योजना का विकल्प चुनें: होम पेज पर आने के बाद, “योजना” या “योजनाओं” के विकल्प पर क्लिक करें।

3. मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना: यहां पर आपको “मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना” का विकल्प दिखाई देगा, उस पर क्लिक करें।

4. आवेदन का विकल्प चुनें: इसके बाद, जिस विशेष चीज के लिए आप आवेदन करना चाहते हैं, उसके विकल्प पर क्लिक करें।

5. रजिस्ट्रेशन फॉर्म: क्लिक करने पर आपके सामने रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुलकर आ जाएगा।

6. जानकारी भरें: मांगी गई सारी जानकारी को ध्यानपूर्वक और सही-सही भरें।

7. आवेदन जमा करें: सभी डिटेल भरने के बाद, आपका आवेदन सफलतापूर्वक जमा हो जाएगा।

नोट

– आवेदन प्रक्रिया के दौरान सभी दस्तावेजों की सही जानकारी सुनिश्चित करें।
– अगर आपको किसी भी चरण में कठिनाई होती है, तो संबंधित विभाग से संपर्क करें या वेबसाइट पर उपलब्ध हेल्पलाइन का उपयोग करें।