सतना संक्रमित रक्त मामला, ब्लड बैंक प्रभारी और दो लैब टेक्नीशियन निलंबित, पूर्व सिविल सर्जन को नोटिस जारी

मध्य प्रदेश के सतना जिले में संक्रमित रक्त चढ़ाने के गंभीर मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कदम उठाया है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिराई है। विभाग ने जिला चिकित्सालय सतना के ब्लड बैंक प्रभारी और दो लैब टेक्नीशियनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

यह कार्रवाई एक उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीईओ आयुष्मान भारत डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी प्राथमिक जांच में अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही को उजागर किया है।

इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई

प्राथमिक जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के बाद विभाग ने डॉ. देवेन्द्र पटेल को निलंबित कर दिया है, जो पैथोलॉजिस्ट होने के साथ-साथ ब्लड बैंक के प्रभारी भी थे। उनके अलावा दो लैब टेक्नीशियन, राम भाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडे को भी सस्पेंड किया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पूर्व सिविल सर्जन को भी नोटिस

सिर्फ मौजूदा स्टाफ ही नहीं, बल्कि पूर्व अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इस क्रम में जिला चिकित्सालय सतना के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया गया है। विभाग ने उनसे लिखित में स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस में साफ कहा गया है कि यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उनके खिलाफ भी कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

जांच समिति की भूमिका

उल्लेखनीय है कि इस मामले की जांच के लिए 16 दिसंबर को राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति के अध्यक्ष डॉ. योगेश भरसट (आईएएस) हैं, जो राज्य रक्ताधान परिषद (SBTC) के संचालक भी हैं। समिति ने बहुत ही कम समय में अपनी प्रीलिमिनरी रिपोर्ट (प्राथमिक रिपोर्ट) सौंपी, जिसके आधार पर यह त्वरित कार्रवाई की गई है। संक्रमित खून चढ़ाने की इस घटना ने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे, जिसके बाद सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है।