#SaveLumbiniFromBrahmanisation मुरारी बापू की राम कथा आयोजन से लुम्बिनी में विवाद शुरू हुआ
नेपाल में राम कथा के आयोजन से #SaveLumbiniFromBrahmanisation ट्रेंड की हुई शुरुवात, twitter पर हुआ ट्रेंड, बुद्ध की जन्मभूमि रूपांदेही,लुंबिनी में अभी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। लुंबिनी वह पवित्र स्थान है जहां बौद्ध परंपरा के अनुसार ,रानी महामायादेवी ने लगभग 623 ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम को जन्म दिया था। भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी वन में हुआ था , जो कि अब एक तीर्थस्थान बन चुका है|
क्यों शुरू हुआ विरोध-
मोरारी बापू | Morari Bapu | जो की एक आध्यात्मिक गुरु तथा कथावाचक है यह ज्यादातर राम कथा करते हैं इन्होंने भारत सहित पूरे विश्व में कई अलग – अलग देशों में राम कथा के आयोजन करवाये हैं। इनकी अगली कथा लुंबिनी में आयोजित होने जा रही थी, कार्यक्रम के संयोजक राजेश अग्रवाल और नेपाल के पूर्व गृह मंत्री बाल कृष्ण खांड थे। कथा 7 फरवरी, मंगलवार को आयोजित हो रही है।
जैसे ही राम कथा का शहर वासियों को पता चला वैसे ही लुंबिनी के बौद्ध अनुयायियों ने मंगलवार की शाम को सड़को पर उतरकर राम कथा के विरोध में प्रदर्शन करते हुए उसे रोकने की मांग की और फिर इसे देख कर हिंदू संगठनों के लोग भी उठ कर राम कथा के समर्थन में उतर गए, दोनो संगठनों के आमने-सामने आने से अधिक विवाद बढ़ गया, विवाद ज्यादा बड़ने पर पत्थर बाजी भी होने लगी, जिसे पुलिस द्वारा लाठी चार्ज करके विवाद को संभालना पड़ा।
विरोध कर रहे बौद्ध अनुयायियों का कहना है की लुंबिनी में रामकथा आयोजित होने से बौद्ध धर्म व विरासत पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा । उदय बिहार , इंटरनेशनल बुद्धिस्ट सोसाइटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरिओम बीके ने कहा कि, संयुक्त बौद्ध धर्मालम संघर्ष समिति को यह कहते हुए सड़क पर लड़ाई करनी पड़ी कि राम कथा के होने या उपदेश से लुंबिनी की गरिमा कम होगी ।
बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि लुंबिनी बुद्ध की जन्मस्थली केवल बौद्धों के लिए आस्था का केंद्र है और गैर बौद्ध किसी भी अन्य कार्यक्रम को आयोजित नही कर सकते। वहीं एक और, बौद्ध संगठनों के प्रदर्शन को देख कर इनके विरोध में हिन्दू संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर रामकथा के समर्थन में ज़ोर ज़ोर से नारेबाजी करने लगे, और इस वजह से वहा पत्थर बाजी होने लगी जिस कारण पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा जिससे माहोल शांत हो सके।
नेपाल भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष ओंकार तिवारी ने कहा को कई लोग इस मामले को और ज्यादा बढ़ाने के लिए मामले को खराब करने की कोशिश कर रहे थे। इसी तरह रुपन्देही के एसपी रविंदर रेग्मी ने कहा अब माहौल ठीक है और 7 फरवरी मंगलवार से मुरारी बापू की रामकथा लुंबिनी में शुरू होगी और भक्त राम कथा का अनुभव ले सकते है।
लुम्बिनी का इतिहास –
भगवान बुद्ध का जन्म 623 बीसी में लुंबिनी के प्रसिद्ध बागों में हुआ था, जो जल्द ही तीर्थयात्रा का स्थान बन गया। तीर्थयात्रियों में से भारतीय सम्राट अशोक थे, जिन्होंने वहां अशोक स्तंभ स्मारक बनाया था। खंभे पर शिलालेख नेपाल में सबसे पुराना है। इतिहास प्रेमियों और बौद्धों के लिए लुम्बिनी एक महत्वपूर्ण जगह है । यहां पर बोधी वृक्ष झंडे में ढंका एक पेड़ है जो लुंबिनी तालाब के बगल में स्थित है । लोग प्रार्थना करने के लिए यहां आते हैं। वे प्रति इच्छा पेड़ के चारों ओर एक झंडा बांधते हैं। यह जगह बहुत शांतिपूर्ण है और लोग आम तौर पर वहां ध्यान करते हैं। मायादेवी तालाब, माया देवी मंदिर परिसर के अंदर स्थित है |
यह भी माना जाता है कि सिद्धार्थ गौतम का पहला स्नान भी यहां हुआ था। लुंबिनी संग्रहालय, मौर्य और कुशान काल की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। संग्रहालय में लुम्बिनी को चित्रित करने वाली दुनिया भर से धार्मिक पांडुलिपियों, धातु मूर्तियों और टिकटें हैं। लुंबिनी इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट (LIRI), लुंबिनी संग्रहालय के सामने स्थित है, सामान्य रूप से बौद्ध धर्म और धर्म के अध्ययन के लिए अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करता है। लुंबिनी अब बौद्ध तीर्थ केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां भगवान बुद्ध के जन्म से जुड़े पुरातात्विक अवशेष एक केंद्रीय विशेषता बनाते हैं।
नेपाल में राम कथा का अस्तित्व –
नेपाल के राष्ट्रीय अभिलेखागार में वाल्मीकि रामायण की दो प्राचीन पांडुलिपियाँ सुरक्षित हैं। इनमें से एक पांडुलिपि के किष्किंधा कांड की पुष्पिका पर तत्कालीन नेपाल नरेश गांगेय देव और लिपिकार तीरमुक्ति निवासी कायस्थ पंडित गोपति का नाम अंकित है। इसकी तिथि सं. १०७६ तदनुसार १०१९ई. है। दूसरी पांडुलिपि की तिथि नेपाली संवत् ७९५ तदनुसार १६७४-७६ई. है।
नेपाल में रामकथा का विकास मुख्य रुप से वाल्मिकि तथा अध्यात्म रामायण के आधार पर हुआ है। जिस प्रकार भारत की क्षेत्रीय भाषाओं के साथ राष्ट्रभाषा हिंदी में राम कथा पर आधारित अनेकानेक रचनाएँ है, किंतु उनमें गोस्वामी तुलसी दास रचित रामचरित मानस का सर्वोच्च स्थान है, उसी प्रकार नेपाली काव्य और गद्य साहित्य में भी बहुत सारी रचनाएँ हैं। ‘रामकथा की विदेश-यात्रा’ के अंतर्गत उनका विस्तृत अध्ययन एवं विश्लेषण हुआ है।
नेपाली साहित्य में भानुभक्त कृत रामायण को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। नेपाल के लोग इसे ही अपनी आदि रामायण मानते हैं। यद्यपि भनुभक्त के पूर्व भी नेपाली राम काव्य परंपरा में गुमनी पंत और रघुनाथ का नाम उल्लेखनीय है। रघुनाथ भकृत रामायण सुंदर कांड की रचना उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुआ था। इसका प्रकाशन नेपाली साहित्य सम्मेलन, दार्जिलिंग द्वारा कविराज दीनानाथ सापकोरा की विस्तृत भूमिका के साथ १९३२ में हुआ।
नेपाली साहित्य के क्षेत्र में प्रथम महाकाव्य रामायण के रचनाकार भानुभक्त का उदय सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना है। पूर्व से पश्चिम तक नेपाल का कोई ऐसा गाँव अथवा कस्वा नहीं है जहाँ उनकी रामायण की पहुँच नहीं हो। भानुभक्त कृत रामायण वस्तुत: नेपाल का ‘राम चरित मानस’ है। भानुभक्त का जन्म पश्चिमी नेपाल में चुँदी-व्याँसी क्षेत्र के रम्घा ग्राम में २९ आसढ़ संवत १८७१ तदनुसार १८१४ई. में हुआ था। संवत् १९१० तदनुसार १८५३ई. में उनकी रामायण पूरी हो गयी थी,२ किंतु एक अन्य स्रोत के अनुसार युद्धकांड और उत्तर कांड की रचना १८५५ई. में हुई थी। भानुभक्त कृत रामायण की कथा अध्यात्म रामायण पर आधारित है। इसमें उसी की तरह सात कांड हैं, बाल, अयोध्या, अरण्य, किष्किंधा, सुंदर, युद्ध और उत्तर है।