Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण पर्यावरण संबंधी याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) क्षेत्र में पर्यावरण और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही है। कोर्ट से मांग की गई थी कि संबंधित अधिकारियों को इस पर कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया जाए।
कोर्ट ने पेड़ों की गिनती को बताया जरूरी
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जानने के लिए कि इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई हो रही है या नहीं, यह जरूरी होगा कि पहले टीटीजेड क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों की गिनती की जाए। कोर्ट ने कहा कि जब तक पेड़ों की संख्या का सही आंकड़ा नहीं होगा, तब तक यह समझना मुश्किल होगा कि इन पेड़ों की कटाई हो रही है या नहीं। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को निर्धारित की गई है।
सॉलिसिटर जनरल का बयान
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि टीटीजेड में पेड़ों की निगरानी का जिम्मा राज्य वन विभाग या फिर केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी अन्य प्राधिकरण का है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में इस क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
एमिकस क्यूरी का सुझाव
इस सुनवाई में एमिकस क्यूरी ए.डी.एन. राव ने एक सुझाव दिया कि यदि किसी स्थान पर पेड़ों की कटाई होती है, तो वहां के पुलिस स्टेशन हेड (एसएचओ) को व्यक्तिगत रूप से इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए उत्तरदायी बनाया जाए। राव के इस सुझाव को कोर्ट ने गंभीरता से लिया और मामले की आगे की सुनवाई में विचार करने का आश्वासन दिया।
TTZ क्षेत्र का विस्तार
टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले तक विस्तृत है। इस क्षेत्र में ताज महल जैसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिसे बचाने के लिए पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रण में रखने की जरूरत है।
TTZ क्षेत्र में वनरोपण के नियमों का पालन न करने पर कोर्ट की सख्त चेतावनी
TTZसे जुड़ी एक अन्य मामले में, 14 सितंबर को कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि यदि TTZ में अनिवार्य वनरोपण के नियमों का पालन नहीं किया गया, तो वह इस क्षेत्र में बनी हाईवे और आवासीय इमारतों को तोड़ने का आदेश भी दे सकता है। यह टिप्पणी टीटीजेड के संरक्षण को लेकर कोर्ट की गंभीरता को दर्शाती है।
SC ने पर्यावरण और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की गिनती को एक प्राथमिक कदम माना है। कोर्ट का मानना है कि जब तक इस क्षेत्र में पेड़ों की संख्या का आंकलन नहीं किया जाएगा, तब तक यह पता लगाना मुश्किल होगा कि अवैध कटाई हो रही है या नहीं। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी, जिसमें कोर्ट यह फैसला करेगा कि आगे क्या कदम उठाए जाएं।