करोड़ों के Scams के बावजूद विभाग कर रहा रस्मअदायगी

रामानंद तिवारी, भोपाल

प्रदेश का नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रूपये के फर्जीवाड़े ( Scams ) के मामले को गंभीरता से लेता नहीं दिख रहा है। इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रूपये का फर्जी भुगतान का मामला संज्ञान में आने के बाद कुछ लोगों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही तो विभाग ने कर दी। लेकिन उसके बाद से विभाग मूकदर्शक की भूमिका में नजर आ रहा है। वित्त विभाग के जिम्मेदार अफसरों को अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए साक्ष्य एवं आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करवाने में गुरेज कर रहे है। हालांकि आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगर निगम इंदौर को जानकारी दिए जाने के लिए पत्र लिखा,लेकिन नतीजा सिफर रहा।

Scams की निगम ने नहीं दी जानकारी

दिलचस्प पहलू यह है कि वित्त विभाग ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ो रूपये के फर्जीवाड़े ( Scams ) के मामले को गंभीरता से लेते हुए पुन: नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को जानकारी दिए जाने के लिए पत्र लिखा। लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार गजब के चतुरसुजान अफसरों ने जबाव देते हुए लिख दिया कि नगर निगम द्वारा 27 अप्रैल 2024 के पत्र के माध्यम से जानकारी दे दी गई है। जब कि उक्त पत्र के साथ महज एक्ट की कॉपी दी गई हैं। जो कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि नगर निगम इंदौर ने एतिहात के तौर पर उक्त पत्र की प्रतिलिपी वित्त विभाग के अफसरों को भी दे दी। जब कि वित्त विभाग ने जो जानकारी मांगी थी वह जानकारी विभाग को मिली ही नहीं।

मामला पत्राचार तक सिमटा

गौरतलब है कि उक्त कार्यवाहीं को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एवं ऑडिट शाखा के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए 1 मई को आनन.फानन में अति आवश्यक पत्र संचालकए स्थानीय निधि संपरीक्षा को भेजा गया। लेकिन जो पत्र जारी किया गया उक्त पद में लगाए गए आारोपों के साक्ष्य साथ में संलग्न नहीं किए गए।

आरोप तो लगाए, लेकिन साक्ष्य उपलब्ध नहीं करवाए

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने आनन-फानन में पांच पेज का पत्र अति.आवश्यक लिखते हुए 20 भुगतान देयकों के उपलब्ध दस्तावेजों में कई गलतिया तो पकड़ ली। निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने तथा निगम की छवि को घूमिल करने के कृत्य के अनुक्रम में निगम में पदस्थ आवासीय संपरीक्षा दल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध नियमानुसार अनशासनात्मक कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया। लेकिन उक्त पत्र में आरोप तो भरपूर लगाए गए लेकिन साक्ष्य एवं अन्य दस्तावेज संपरीक्षा प्रकोष्ठ को उपलब्ध नहीं करवायेेें।

क्या है इंदौर ड्रेनेज घोटाला

इंदौर शहर में ड्रेनेज लाइन बिछाने के नाम पर 5 फर्मो नीव कंस्ट्रक्शन ग्रीन कंस्ट्रक्शनए क्षितिज इंटरप्राइजेजए जहान्वी इंटरप्राइजेजए किंग कंस्ट्रक्शनके बिलों की कूटरचना करते हुए एवं अॅाडिट करवाते हुए लेखा शाखा में हुए घोटाले के खिलाफ इंदौर नगर पालिका ने कार्यवाहीं की। इस घोटाले में 5 ठेकेदार और निगम कर्मचारियों के अलावा ऑडिट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई।

विभाग ने नहीं करवाई जानकारी मुहैया

चूंकि मामला गंभीर होने की वजह से एक माह के इंतजार के बाद 6 जून को स्थानीय निधि संपरीक्षा प्रकोष्ठ ने नगर पालिका निगम इन्दौर में बिलों की कूटरचना कर भुगतान प्राप्त करने संबंधी प्रकरण में आवासीय अंकेक्षण दल द्वारा अपने कर्तव्य का सम्यक निर्वहन न करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाहीं किए जाने के लिए अभिलेख दिए जाने के लिए आयुक्त नगरीय प्रश्सासन एवं विकास विभाग को पत्र लिखा।

विभाग की अनदेखी की वजह से नहीं हो सकी कार्यवाही

दिलचस्प पहलू यह है कि आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए स्थानीय निधि संपरीक्षा प्रकोष्ठ को अति.आवश्यक प़त्र तो लिख दिया। लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी निलंबित शासकीय सेवकों के विरूद्ध मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के तहत कार्यवाही हेतु विभागीय जांच संस्थित किया जाना है। जिसके लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने अति.आवश्यक पत्र के साथ संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये। ऐसी स्थिति में उक्त मामले से संबंधित साक्ष्य एवं अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध करवाए जाने के लिए चार माह पूर्व स्थानीय निधि संपरीक्षा ने लिखा है जिससे आरोप.पत्र में उनका उल्लेख करते हुए विभागीय जांच संस्थित करने की कार्यवाही की जा सके।

इनका कहना है

आपने मामला मेेरे संज्ञान में ला दिया है। मै और दिखवा लेता हूं। जो भी जानकारी वित्त विभाग मांगेगा उसे हम उपलब्ध करवाने के लिए तत्पर रहेंगे। मेरे द्वारा ही कार्यवाही की गई थी।
-शिवम वर्मा, आयुक्त नगर निगम इंदौर।