खंडहर में स्कूल, पूर्व मंत्री की बेटी के नाम पर फर्जीवाड़ा

स्वतंत्र समय, डिंडोरी

मध्य प्रदेश में शिक्षा को शर्मसार करने वाला एक और मामला सामने आया है। आदिवासी बहुल जिले डिंडोरी में पूर्व मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बेटी के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। मंत्री की बेटी के मैनेजमेंट के अंतर्गत आने वाले गैर सरकारी संगठन की तरफ से स्कूल चलाया जा रहा है। स्कूल में कोई क्लास नहीं ली जा रही, लेकिन छात्रों को कागज पर एडमिशन दिया जा रहा है । राज्य की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति भी गई है। सोमवार को जब जिला शिक्षा अधिकारी विकास मिश्रा दौरे पर पहुंचे तो स्कूल के चार छात्र नकल करते पकड़े गए इसके बाद कलेक्टर ने उन सभी केंद्र के स्टाफ को हटाकर रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल को भेजने के निर्देश दिए ।इसके बाद स्थानीय लोगों ने मांग करना शुरू कर दिया कि स्कूल के लिए एनजीओ को जो जमीन दान में दी गई थी, वह उन्हें वापस कर दी जाए । स्कूल के कुल 67 छात्र के लिए सरकारी हाई स्कूल को केंद्र बनाया गया है ।यहां 12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए बच्चे उपस्थित हुए थे।

पूूर्व मंत्री के पिता के नाम रजिस्टर्ड

आदिवासी विकास समिति नाम का एक एनजीओ पूर्व मंत्री कुलस्ते के दिवंगत पिता के नाम पर रजिस्टर्ड है। डिंडोरी जिले के मेहदवाली जनपद पंचायत के अंतर्गत गांव में स्कूल चलता है। स्थानीय निवासी हीरालाल ,कुंवर सिंह, और देव सिंह ने 1993 में स्कूल के निर्माण के लिए जमीन दान दी थी। ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 5 साल से स्कूल में कोई क्लास नहीं चल रही। इमारत खंडहर में बदल गई है।

कुलस्ते ने 1968 में रखा था प्रस्ताव

गांव के महा सिंह ने बताया कि वर्ष 1968 में जब फग्गन सिंह कुलस्ते विधायक थे तब गांव में बच्चों के लिए कोई मिडिल स्कूल नहीं था। तब कुलस्ते ने गांव में ही स्कूल खोलने का प्रस्ताव रखा। तब हमारे पूर्वज हीरा लाल, कुंवर सिंह और देव सिंह ने शोभन सिंह को लगभग 7 एकड़ जमीन दान में दी और इसे एनजीओ के नाम पर ट्रांसफर कर दिया। ग्रामीणों ने स्कूल भवन के निर्माण में मदद करने के लिए भी योगदान दिया। जमीन देने वाले लोगों ने रिश्तेदारों ने कहा कि अब जब वहां स्कूल नहीं चल रहा है तो हमारी जमीन हमें वापस कर दी जानी चाहिए।

एजुकेशन पोर्टल पर बंद है स्कूल

डीईओ रति सिंह सिद्धराम ने बताया कि एजुकेशन पोर्टल पर स्कूल बंद दिखा रहा है। छात्रों ने नामांकन फॉर्म कैसे भरा और उन्हें एडमिट कार्ड कैसे जारी किया गया, यह जांच का विषय है। नियमों के अनुसार, छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए 75 प्रतिशत अटेंनडेंस का होना अनिवार्य है। इसके अलावा स्कूल चलाने के लिए बिल्डिंग भी होना चाहिए। साथ ही खेल का मैदान और शौचालय का होना भी जरूरी है।