प्रवीण शर्मा, भोपाल
मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में बीजेपी ( BJP ) से तीन लोग पार्टी का भरोसा जीत पाए हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की जोड़ी एक बार फिर पार्टी का टारगेट पूरा करने में सफल रहे हैं। इन दोनों के अलावा प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर ही भाजपा की टारगेट पूरा करने में सफल रही है। इन तीन के अलावा जहां 15 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के साथ ही सारे दिग्गज पार्टी के लक्ष्य के बीच तक ही पहुंच सके। वहीं 11 सीटों पर पार्टी आगे बढऩे की बजाए पीछे चली गई।
असल में यहां बात हो रही है BJP का वोट शेयर बढ़ाने की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश संगठन को प्रत्येक बूथ पर 370 नए वोट जोडऩे और पार्टी ( BJP ) के वोट शेयर में 10 फीसदी की वृद्धि करने का टारगेट दिया था। प्रदेश संगठन ने लोकसभा सीट से लेकर प्रत्येक बूथ टीम तक इस टारगेट को पूरा करने का मैसेज भिजवाया था। इसके लिए लगातार बैठकें भी गर्इं और सभी को वोट शेयर बढ़ाने के लिए हमेशा एक्टिव किया जाता रहा। राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन के नेता भी अपने दौरों पर इसकी समीक्षा करते रहे। चुनाव परिणाम आने पर मंगलवार को विजयोत्सव को संबोधित करते हुए प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने अपने भाषण में इस लक्ष्य पर जोर देते हुए कहाकि हम इस लक्ष्य के काफी करीब पहुंचे हैं, अंतिम आंकड़े आने तक हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। मगर सभी 29 सीटों पर मिले वोट इसके उलट ही तस्वीर बना रहे हैं। सभी 29 सीटों में से मात्र तीन पर ही पार्टी का लक्ष्य पूरा हो सका है। इनमें सबसे अधिक 15.10 फीसदी की वृद्धि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना में दर्ज कराई है। वहीं दूसरे नंबर पर इंदौर के शंकर लालवानी रहे, जहा 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में 12.95 प्रतिशत पार्टी के वोट बढ़े हैं। इन दोनों के अलावा पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी पार्टी के लक्ष्य के करीब पहुंच सके हैं। विदिशा में भाजपा का वोट शेयर पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 8.47 बढ़ा है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष शर्मा की सीट पर भी यह वृद्धि महज 3.26 प्रतिशत की रही है। केवल सागर में इस लक्ष्य के आधे यानी 5 फीसदी से अधिक वोट बढ़ सके हैं। सागर में 6.18 फीसदी की वृद्धि हुई है। बालाघाट और मंडला में तो आधा फीसदी वोट भी नहीं बढ़ सके हैं। बालाघाट में .32 तो मंडला में .34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
11 सीटों पर गिरावट का सामना
इसके उलट प्रदेश की 29 में से 11 सीटों पर पार्टी का वोट प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में काफी कम रहा है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की राजगढ़ सीट पर भाजपा भले ही जीत गई है, लेकिन 2019 के चुनाव की तुलना में भाजपा को एकमुश्त 12.27 फीसदी कम वोट मिले। राजगढ़ के अलावा मुरैना, भिंड, ग्वालियर, सतना, रीवा, सीधी, होशंगाबाद, उज्जैन, खरगौन और खंडवा में भी भाजपा के वोट शेयर में गिरावट आई है।
भोपाल में 3 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त
पार्टी के भरोसे और लक्ष्य को पूरा करने में भोपाल के प्रत्याशी आलोक शर्मा और यहां की टीम भी किसी हद तक सफल रही है। भोपाल ने अपने पिछले प्रदर्शन को बढ़ाते हुए वोट शेयर में 3.98 प्रतिशत की वृद्धि की है। इसमें भोपाल उत्तर और मध्य विधानसभा सीट में ही भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इन दोनों के अलावा शेष सभी छह विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को विधानसभा चुनावों की तुलना में काफी ज्यादा वोट मिले हैं। सबसे बड़ा अंतर गोविंदपुरा और हुजूर विधानसभा क्षेत्र में रहा। गोविंदपुरा से विधायक कृष्णा गौर की जीत जहां 106668 वोट की थी तो इस लोकसभा चुनाव में आलोक शर्मा शर्मा 1.37 लाख वोट अधिक मिले हैं। इसी तरह रामेश्वर शर्मा की हुजूर विधानसभा सीट पर आलोक शर्मा को 1.36 लाख वोट अधिक मिले हैं। भाजपा महामंत्री भगवानदास सबनानी की दक्षिण पश्चिम विस में 46096 वोट अधिक मिले तो मंत्री विश्वास सारंग की नरेला विस सीट से लोकसभा प्रत्याशी को सबसे कम 41551 वोट की ही जीत मिल सकी।