विपिन नीमा, इंदौर
तीन दिनों के मंथन के बाद भाजपा हाई कमान ने लोकसभा (Loksabha) चुनाव के लिए 195 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में मप्र की 24 सीटों के प्रत्याशियों के नाम भी शामिल है। प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल इंदौर सीट को होल्ड पर रखकर यहपार्टी हाईकमान ने नया चेहरा उतारने का संकेत दिया है। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी के मामले में राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है की लालवानी को बदलने के लिए है इंदौर को होल्ड पर रखा गया है। लालवानी को टिकट देना होती तो उनका नाम पहली सूची में शामिल हो जाता । फिलहाल इंदौर से कौन होगा, इसका खुलासा आगामी दिनों होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक मेंं होगा। बताया गया है की पार्टी हाईकमान की तरफ से मुख्यमंत्री को तीन बड़े टास्क मिले है इसमें मप्र में सभी 29 सीटे जीतना, प्रदेश के हर बूथ पर 370 वोट तथा 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाना तथा शामिल है। पहली बार लोकसभा चुनाव में लीड कर रहे मुख्यमंत्री किस रणनीति के तहत बूथों पर तथा वोट शेयर बढ़ाएंगे। मुख्यमंत्री को उम््मीद थी की चुनावी रणनीति में उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का सहारा मिल जाएंगा, लेकिन वे खुद ही विदिशा में चुनाव लड़ रहे है। वे अपने चुनाव में ही व्यस्त हो जाएंगे। शिवराज के नहीं होने से उनका काम और बढ़ जाएंगा।
Loksabha चुनाव में सभी 29 सीट दिलानी होगी
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के लिए यह लोकसभा (Loksabha) चुनाव किसी अग्नि परीक्षा देने से कम नहीं हे। अभी तक तो 18 सालों तक प्रदेश की कमान संभालने और मामा के नाम से चर्चित पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने दम पर भाजपा को हर चुनाव जिताते आ रहे थे , लेकिन इस बार प्रदेश की सभी 29 में से 29 सीटे जीताने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कंधों पर रहेगी। वर्तमान में भाजपा के पास 28 सीट है। उन्हें तीन बड़े टास्क पर काम करना होगा – पहला प्रदेश की सभी सीट जीतना , दूसरा प्रदेश के कुल 65 हजार बूथों के हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाना और तीसरा 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाना है। मुख्यमंत्री को अपनी रणनीति के अनुसार काम करना होगा। जितनी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के कंधों पर है उससे ज्यादा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी पर भी रहेगी। पटवारी को कुछ करके दिखाने के लिए कमलनाथ और दिग्विजयसिंह की मदद लेना पड़ेगी।
Loksabha में शंकर की नैया डगमगाई
शनिवार की रात को लोकसभा (Loksabha) चुनाव के लिए भाजपा ने 195 सीटों के लिए प्रत्याशियों के चयन की पहली सूची जारी की है, जिसमें मप्र की 24 सीट भी शामिल है। इंदौर जैसी हाईप्रोफाइल संसदीय सीट को होल्ड पर रखने से इंदौर के दावेदारों के बीच हलचल पैदा कर दी। इंदौर सीट होल्ड पर आने से 5.47 लाख वोटों से पिछला चुनाव जीतने वाले सांसद शंकर लालवानी का नाम खतरे में आ गया है। एक बात साफ है की अगर शंकर लालवानी को रिपीट करना होता तो पार्टी पहली सूची में ही उनके नाम का ऐलान कर देती, इंदौर की सीट के लिए कुछ लोचा तो हुआ है। इंदौर से कौन चुनाव लड़ेगा यह तो चुनाव समिति की बैठक में जारी दूसरी सूची से पता चलेगा। ऐसी पूरी संभावना दिख रही है की इंदौर से चौंकाने वाला नाम आ सकता है।
कुछ सीटों पर मजबूत पकड़ के लिए कांग्रेस को मिला जोरदार अवसर
मप्र में पिछले दो लोकसभा चुनावों के परिणाम का हिसाब – किताब निकाले तो आने वाले चुनाव में भी कांग्रेस को हर सीट पर खतर है। 2014 के चुनाव में 29 में से भाजपा को 27और कांग्रेस को 2 सीट मिली थी। जबकि 2019 के चुनाव में भाजपा ने एक सीट जीतकर अपना स्कोर 28 सीट कर लिया , जबकि कांग्रेस की सीट बढऩे की बजाय एक सीट और कम हो गई। अगर इस चुनाव में भी भाजपा का चक्रव्यूह चला तो कांग्रेस मुक्त प्रदेश बनने से कोई नहीं रोक सकता है। विशेषज्ञों का कहना है की इस समय स्थिति , परिस्थिति और माहौल भाजपा के पक्ष दिख रहा है। मजबूत भाजपा के सामने प्रदेश की हर सीट कांग्रेस के लिए खतरा बनती जा रही है। भाजपा के 24 प्रत्याशी मैदान तय हो चुके है। उधर कांग्रेस के लिए कुछ सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक अच्छा अवसर मिला है। भाजपा की घोषित 24 सीटों पर कांग्रेस अच्छे दमदार नेताओं को खड़ा कर सकती है।