शशि थरूर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाए हैं। इस बार उन्होंने आपातकाल को लेकर कांग्रेस की आलोचना की है। थरूर ने कहा कि 1975 से 1977 के बीच लगाया गया आपातकाल सिर्फ इतिहास का काला अध्याय नहीं था, बल्कि इसे समझना और इससे सीख लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर उस समय जो कदम उठाए गए, वे क्रूरता में बदल गए थे। उन्होंने इंदिरा गांधी और संजय गांधी की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि उस दौर के कई फैसलों को सही नहीं कहा जा सकता।
शशि थरूर ने कहा, संजय गांधी के आदेश पर हुई जबरन नसबंदी
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य शशि थरूर ने कहा कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी अभियान चलाया, जो एक गलत उदाहरण बना। गांवों में तय लक्ष्य पूरे करने के लिए हिंसा और ज़बरदस्ती की गई। नई दिल्ली में झुग्गियों को तोड़ा गया, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए और उनकी देखभाल नहीं हुई। थरूर ने कहा कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह हमारी कीमती विरासत है, जिसे संभालकर रखना जरूरी है। आज भारत पहले से ज्यादा मजबूत और आत्मविश्वासी है, लेकिन आपातकाल से मिली सीख आज भी उतनी ही जरूरी है।
थरूर ने कहा, सत्ता केंद्रीकरण से लोकतंत्र कमजोर होता है
शशि थरूर ने कहा कि सत्ता को एक जगह करने, असहमति को दबाने और संविधान की सुरक्षा को नजरअंदाज करने जैसी बातें फिर से सामने आ सकती हैं। कभी-कभी ऐसी चीजों को देश के हित या स्थिरता के नाम पर सही ठहराया जाता है। कभी-कभी देशहित या स्थिरता के नाम पर गलत काम सही बताए जाते हैं, इसलिए आपातकाल एक जरूरी चेतावनी है। लोकतंत्र को बचाने वालों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए ताकि दोबारा वैसी गलतियां न हों। लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि लोग जागरूक रहें और संविधान की रक्षा को सबसे ऊपर मानें।