शशि थरूर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर का बयान सियासी हलचल पैदा कर गया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस और बीजेपी अब बदल चुके हैं और शायद अपनी पुरानी सोच से आगे बढ़ चुके हैं। यह बयान उस वक्त आया जब विपक्षी दल संविधान से छेड़छाड़ के आरोप लगा रहे हैं। आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने का समर्थन किया, जिससे सियासी विवाद शुरू हो गया। राहुल गांधी ने आरएसएस-बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि वे संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहते हैं और बहुजनों के अधिकार छीनना चाहते हैं।
शशि थरूर का बयान
राहुल गांधी के बयान पर जब मीडिया ने शशि थरूर से सवाल पूछा, तो उन्होंने संतुलित जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र कर रहे थे, क्योंकि संविधान बनने के समय कुछ लोगों ने मनुस्मृति को संविधान में शामिल करने की बात की थी। लेकिन उनका मानना था कि आरएसएस अब उस समय से आगे बढ़ चुका है, और आज उनकी सोच क्या है, यह वे खुद बेहतर जान सकते हैं।
पार्टी के भीतर उभरे मतभेद
थरूर के बयान के बाद कांग्रेस में मतभेद सामने आए हैं। कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि थरूर साहब का बयान सही नहीं है, क्योंकि आरएसएस के महासचिव खुद यह कहते हैं कि सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म को खत्म करना चाहिए, जबकि थरूर कुछ और ही बोल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि थरूर वरिष्ठ नेता हैं, उनका सम्मान करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस तरह की बातों से विवाद बढ़ सकता है।
थरूर के नरम रुख का कारण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर ने अपने बयान में एक ओर ऐतिहासिक तथ्य को स्वीकार किया, लेकिन आरएसएस-बीजेपी पर सीधे हमला करने से बचते हुए बात की। वहीं, कांग्रेस में इस बात को लेकर नाराजगी है कि जब पार्टी आरएसएस-बीजेपी को संविधान के खिलाफ बता रही है, तब थरूर का यह नरम रुख संदेश को कमजोर कर सकता है। अब देखना होगा कि कांग्रेस इस अंतरविरोध को कैसे संभालती है और बीजेपी इसका फायदा कैसे उठाती है।