विपिन नीमा, इंदौर
शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले अतिव्यस्त शास्त्री ब्रिज ( Shastri Bridge ) पर ट्रैफिक लेन को विभाजित करने और नियंत्रण से बाहर वाहनों को आने वाले ट्रैफिक से टकराने से रोकने के लिए लगाए गए कभी पीले और काले कलर के हेवी रोड डिवाइड, जिसे अंग्रेजी में प्रीकॉस्ट रोड डिवाइड कहा जाता है, अब ब्रिज पर कभी नजर नहीं आएंगे। ब्रिज पर लगभग 400 किलो वजनी वाले 162 रोड डिवाइडर रखे गए थे जिसमें से निगम 140 डिवाइडर उठा चुका है। शेष डिवाइडर को हटाने की कार्यवाही जारी है। हेवी रोड डिवाइड के हटने से 71 साल पुराने शास्त्री ब्रिज से लगभग 64 हजार 800 किलोग्राम लोड कम हो जाएगा।
Shastri Bridge से भार कम करने निगम ने उठाया कदम
71 साल पुराने शास्त्री ब्रिज टू लेन का है और इस ब्रिज पर ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए सडक़ के बीच पीले और काले कलर के हेवी रोड डिवाइडर विगत कई सालों से रखे है। सीमेंट और लोहे से बने रोड डिवाइडर की लम्बाई पांच फीट और चौड़ाई 3.5 फीट है इसका वजन लगभग 400 किलोग्राम है। इस तरह के डिवाइडर को अंग्रेजी में प्रीकॉस्ट रोड डिवाइडर कहते है। टै्रफिक की सुहलियत के लिए ब्रिज पर 400 वजनी वाले 162 डिवाइडर रखे थे। इस तरह से ब्रिज पर 64800 किलो ग्राम वजन और बढ़ गया था। ब्रिज पर बढ़ते भार को कम करने के लिए निगम ने हेवी रोड डिवाइडर को हटाना शुरु कर दिया है। निगम ब्रिज से 162 में 140 डिवाइडर हटा चुका है जबकि 22 डिवाइडर हटाना शेष है।
डिवाइडर के बारे में ये भी जानें…
-
हेवी रोड डिवाइडर जिसे अंग्रेजी में प्री- कॉस्ट रोड डिवाइड कहते हैं
-
लम्बाई : 5 फीट
-
चौड़ाई : 3.50 मीटर
-
बनावट : सीमेंट और लोहा
-
एक डिवाइडर का वेट : लगभग 400 किलो
पहले ब्रिज से 24 घंटे में हजार से दो हजार वाहन निकला करते थे
नगर निगम पिछले कुछ दिनों से ब्रिज से डिवाइडर हटाने का काम कर रहा है। करीब 448 मीटर लंबे ब्रिज पर करीब छोटे स्तर के सीमेंट कांक्रीट के डिवाइडर बना रहा है। ब्रिज के आधे से ज्यादा हिस्से में सीमेंट के पक्के डिवाइडर बना दिए गए है। टै:फिक विशेषज्ञ के मुताबिक शहर की रेलवे ट्रैक के ऊपर बनाए गए शास्त्री ब्रिज शहर का सबसे महत्वपूर्ण ब्रिज है, क्योंकि यह ब्रिज एमजी रोड के पुराने इंदौर को नई बसावट वाले नए इंदौर से जोड़ता है। लगभग 71 साल पहले इस ब्रिज का निर्माण किया गया था तब ब्रिज के ऊपर से चौबीस घंटे में हजार – दो हजार वाहन निकला करते थे। वर्तमान में इन वाहनों की संख्या तीन से चार लाख से अधिक हो चुकी है। ये ब्रिज शहर के सबसे ज्यादा वाहनों का भार झेलने वाला ब्रिज है।
ब्रिज पर लगेगी सेंट्रल लाइटिंग
शास्त्री ब्रिज से हेवी रोड डिवाइडर हटने के बाद नए डिवाइडर पर कलर होगा और हर तीन मीटर पर सेंट्रल लाइटिंग लगेगी। इस तरह 448 मीटर लम्बे ब्रिज पर कुल 70 सेंट्रल लाइटिंग के साथ डिवाइडर के दोनों तरफ रेलिंग भी लगेगी। बताया गया है कि ब्रिज के दोनों तरफ बने फूटपाथ पर जो लाइट लगी है उन लाइट के साथ कोई छेडख़ानी नहीं की जाएंगी। वे भी सेट्रल लाइटिंग के साथ जलेगी। निगम इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 20 लाख रुपए खर्च कर रहा है।
ब्रिज पर लगातार बढ़ता जा रहा है बोझ
पुराने इंदौर (पश्चिमी इंदौर एमजी रोड) को नए इंदौर (पूर्वी इंदौर पलासिया की और ) से जोडऩे वाला शास्त्री ब्रिज शहर का सबसे महत्वपूर्ण ब्रिज है । शास्त्री ब्रिज का लोकार्पण 12 जनवरी 1953 को तत्कालीन रेल मंत्री लालबहादुर शास्त्री ने किया था। इस तरह यह ब्रिज करीब 71 साल पुराना है और अपनी उम्र पूरी कर चुका है। इतना पुराना होने के बाद भी ब्रिज पूरी तरह से डटा हुआ है, अब जिस तरह से शहर में वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है उसको देखते हुए ब्रिज पर भी वाहनों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। आरटीओ कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 700 से 800 रजिस्टर्ड वाहन शहर की सडक़ों पर उतर रहे हैं, इसका असर ब्रिज पर साफ देखा जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में ब्रिज पर प्रतिदिन साढ़े तीन से चार लाख वाहन उतरते और चढ़ते है। इस कारण लगभग ब्रिज को चौड़ा करने की भी खूब आवश्यकता है।