बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला का 27 जून की रात अचानक निधन हो गया। मात्र 42 वर्ष की आयु में उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस अप्रत्याशित घटना ने उनके प्रशंसकों और जानने वालों को गहरा झटका दिया। उनकी इस असमय मृत्यु ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ऐसी मौत को धर्म और शास्त्रों में कैसे देखा जाता है।
गरुड़ पुराण में ‘अकाल मृत्यु’ का अर्थ
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु उसकी नियत आयु पूरी होने से पहले हो जाती है और उसका कारण प्राकृतिक नहीं होता जैसे दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या या अचानक कोई गंभीर रोग तो उसे “अकाल मृत्यु” कहा जाता है। इसे समय से पूर्व जीवन की डोर टूटना माना जाता है, जो कि उस व्यक्ति के पूर्व निर्धारित कर्मों के अनुरूप नहीं होता।
क्या है अकाल मृत्यु दोष?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अचानक मृत्यु को प्राप्त होता है और उसकी आत्मा इस लोक को छोड़ने को तैयार नहीं होती, तब वह आत्मा भटकने लगती है। इसे ही अकाल मृत्यु दोष कहा गया है। माना जाता है कि ऐसी आत्मा अधूरी इच्छाओं और अपूर्ण जीवनकाल के कारण संसार में बंधी रहती है।
ज्योतिष के अनुसार कैसे बनता है अकाल मृत्यु योग?
ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति या उनकी अशुभ युति से जन्म कुंडली में ‘अकाल मृत्यु योग’ बनता है। इस योग के बनने पर व्यक्ति के जीवन में अनहोनी घटनाओं, गंभीर दुर्घटनाओं या जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह योग एक प्रकार की चेतावनी होती है, जो सावधानी बरतने का संकेत देती है।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो आत्माएं अकाल मृत्यु का शिकार होती हैं, उन्हें मृत्यु के बाद शांति नहीं मिलती। ऐसी आत्माएं कई बार प्रेत, पिशाच या अन्य नकारात्मक योनियों में भटकती रहती हैं। पुरुषों की आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है, जबकि महिलाओं की आत्मा चुड़ैल या देवी योनि में ठहर सकती है। जब तक उनका कर्मफल पूरा नहीं होता या उनके लिए कोई पवित्र कार्य जैसे पिंडदान, तर्पण या शांति पाठ नहीं किया जाता, तब तक वे आत्माएं मुक्ति नहीं पा सकतीं।