धवन, हरभजन सिंह, पठान बंधु और सुरेश रैना जैसे कई पूर्व भारतीय खिलाड़ी पहले ही भारत-पाकिस्तान लीग मुकाबले से दूरी बना चुके हैं। यह निर्णय उन्होंने सोशल मीडिया पर हुए आलोचनाओं और देश के हालिया सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद लिया था। मैच को लेकर बढ़ते तनाव और विरोध के चलते अंततः वह मुकाबला ही रद्द कर दिया गया।
टूर्नामेंट के दौरान एक रिपोर्टर ने धवन से पूछा कि अगर भारत और पाकिस्तान सेमीफाइनल में आमने-सामने आते हैं तो क्या वह उस मैच में हिस्सा लेंगे। इस सवाल से धवन कुछ असहज हो गए और उन्होंने सीधा जवाब देते हुए कहा, “भाई, आप ये सवाल गलत जगह पूछ रहे हो। अगर आप ये पूछ रहे हो, तो क्या आपको लगता है मैं जवाब दूंगा? आपको ये सवाल नहीं पूछना चाहिए। और अगर मैं पहले नहीं खेला, तो अब भी नहीं खेलूंगा।”
इस बयान के साथ शिखर धवन ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनका रुख पहले जैसा ही रहेगा, चाहे टीम सेमीफाइनल तक पहुंचे या नहीं।
इस समय भारत WCL की अंक तालिका में सबसे नीचे है। भारत ने अब तक दो मैच गंवाए हैं और सिर्फ एक अंक अर्जित किया है। वहीं पाकिस्तान की टीम शीर्ष पर है और उसने दोनों मुकाबले जीतकर पांच अंक जुटा लिए हैं। भारत को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए अब इंग्लैंड और वेस्टइंडीज को हराना होगा, साथ ही अन्य टीमों के नतीजों पर भी निर्भर रहना पड़ेगा।
शिखर धवन का यह बयान न सिर्फ उनके सिद्धांतों को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पूर्व खिलाड़ी किस तरह सामाजिक और राष्ट्रीय भावना के प्रति अपनी संवेदनशीलता को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने अपने फैसले में कोई दोहरापन नहीं दिखाया और कहा कि अगर एक बार वो पीछे हट चुके हैं, तो वही रुख आगे भी बरकरार रहेगा — “एक बार चूक गया, फिर से चूकूंगा।”
यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में WCL के संभावित भारत-पाकिस्तान मुकाबले को लेकर माहौल और भी गंभीर बना सकता है। लेकिन फिलहाल, धवन का संदेश साफ है — देशहित के मुद्दे पर वे कोई समझौता नहीं करेंगे।